कोच्चि, 4 जून (आईएएनएस)। केरल में एक युवक का निपाह वायरस संक्रमित पाया जाना और इस बीमारी से संबंधित गलत जानकारियों का फैलना राज्य सरकार के लिए बड़ी समस्या बन गई है।
मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने मंगलवार को एक फेसबुक पोस्ट में चेतावनी दी थी कि गलत जानकारियां फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी और उन्होंने लोगों से अपील की थी कि वे स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों का पालन करें।
उन्होंने कहा, “हम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं। विशेषज्ञों की एक टीम कोच्चि पहुंच गई है। उनके बताए उपायों को भी निपाह के प्रकोप की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों में शामिल किया जाएगा। हम 2018 में मिलजुल कर निपाह से निपटे थे।’ साथ ही कहा, “निपाह की पुष्टि होने पर घबराना नहीं चाहिए।”
पिछले साल मई में निपाह (एनआईवी) वायरस के फैलने से 12 लोगों की मौत हुई थी। इसके अलावा कोझिकोड और मलप्पुरम जिलों से 22 पॉजिटिव मामले सामने आने से दहशत फैल गई थी।
प्रकोप फैलने के बाद विशेषज्ञों ने भी सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें फैलाए जाने के प्रति चेताया था। एक फर्जी खबर में दावा किया गया था कि एक होमियोपैथी गोली इस प्राण घातक वायरस से लोगों को बचा सकता है।
तथ्यों की जांच संबंधी वेबसाइट आल्ट न्यूज से जुड़े तंत्रिका-वैज्ञानिक (न्यूरोसाइंटिस्ट) सुमैया शेख द्वारा किए गए शोध में पाया गया था कि होमियोपैथी दवा जेल्सेमियम 200 निपाह वायरस से उपचार में कारगर नहीं है और ऐसी जानकारी नहीं फैलाई जाए।
इतना ही नहीं, पिछले साल फर्जी खबर वाला एक वीडियो भी बनाया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि यह वायरस चिकेन से फैलता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, निपाह संक्रमण के लिए आधिकारिक तौर पर कोई दवा या टीका नहीं है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि स्वस्थ रहने के साधारण तरीके, जैसे बार-बार हाथ धोने और खाद्य पदार्थ को खाने से पहले अच्छी तरह पकाए जाने से मस्तिष्क को क्षति पहुंचाने वाले इस वायरस के प्रकोप से बचा जा सकता है।