तिरुअनंतपुरम, 16 नवंबर (आईएएनएस)। केरल के एक अरबपति कारोबारी को अपनी जड़ों से इतना लगाव है कि वह मध्यपूर्व के अपने साथी कारोबारियों को दिखाना चाहता है कि क्यों इस स्थान को देव भूमि कहा जाता है। और, क्यों यहां निवेश करना फायदेमंद रहेगा। कारोबारी ने इसके लिए मौका अपनी बेटी की शादी का चुना है।
बी.रवि पिल्लई की बेटी की शादी इस महीने के अंत में है। उन्होंने अपने सैकड़ों कारोबारी मित्रों को शादी के लिए केरल आने का न्योता भेजा है। उनका कहना है कि ये दोस्त खुद आकर देख लें कि केरल निवेश के लिए क्यों अच्छी जगह है।
पिल्लई ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, “मैं 40 देशों से मेहमानों को बुला रहा हूं। इनमें कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) और अध्यक्षों के साथ ही मध्य पूर्व के देशों के शाही खानदानों के सदस्य भी होंगे। इनमें से अधिकांश पहली बार भारत आ रहे हैं। ये सभी एक हफ्ते तक केरल में रहेंगे।”
पिल्लई ने कहा, “मेरा मुख्य उद्देश्य उनके सामने केरल को पेश करना है, उन्हें बताना है कि यह जगह उनके निवेश के लिए है।”
पिल्लई (62) का संबंध कोल्लम जिले से है। मध्य पूर्व में उनका कारोबार है। फोर्ब्स पत्रिका की अरबपतियों की सूची में उनका स्थान 988वां और भारत में 30वां है।
पिल्लई की बेटी की शादी 26 नवंबर को हो रही है। उन्होंने अपने व्यापार की जगहों में शामिल कोवलम, कोल्लम और चावारा में 10 हजार लोगों को दान देने के लिए व्यापक कार्यक्रम बनाया है।
उन्होंने कहा, “दान के लिए 10 करोड़ रुपये अलग कर दिए गए हैं। इसमें कैंसर रोगियों की मदद भी शामिल है। मैं मध्य पूर्व में बीते 35 सालों से काम कर रहा हूं। मैं अपनी मेहनत की कमाई खर्च कर रहा हूं। बैंक से कर्ज लेकर बेटी की शादी नहीं कर रहा हूं।”
मध्य पूर्व में 2014 में चौथे सबसे शक्तिशाली भारतीय करार दिए गए पिल्लई आर.पी. समूह के मालिक हैं। उन्होंने 85 हजार लोगों को रोजगार दिया हुआ है। इनमें से अधिकांश मध्य पूर्व में काम कर रहे हैं।
पिल्लई ने कहा, “अगले साल मार्च तक कर्मचारियों की संख्या एक लाख पार कर जाएगी। दो साल में दुबई का होटल तैयार हो जाएगा।”
केरल में अपनी योजनाओं के बारे में पिल्लई ने कहा कि वह यहां आईटी और होटल सेक्टर पर ध्यान दे रहे हैं। राज्य में उनके दो पांच सितारा होटल हैं। एक अन्य पांच सितारा होटल अगले साल खुल जाएगा। उन्होंने कहा कि केरल में खनिज पदार्थो की परियोजनाओं में व्यापक संभावनाएं हैं। वह इनमें निजी-सार्वजनिक साझेदारी (पीपीपी) के जरिए निवेश करना पसंद करेंगे।