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 ‘केरल बाढ़ का जलवायु परिवर्तन से संबंध स्थापित करना कठिन’ | dharmpath.com

Sunday , 24 November 2024

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‘केरल बाढ़ का जलवायु परिवर्तन से संबंध स्थापित करना कठिन’

तिरुवनंतपुरम, 24 दिसम्बर (आईएएनएस)। क्या 2018 में केरल में आई बाढ़ का संबंध जलवायु परिवर्तन से है? एक अध्ययन में पाया गया है कि प्रदेश में लंबी अवधि में भारी मॉनसूनी बारिश में वृद्धि नहीं हुई है। शोधकर्ताओं की माने तो जलवायु परिवर्तन से बाढ़ की त्रासदी से संबंध स्थापित करना कठिन है।

तिरुवनंतपुरम, 24 दिसम्बर (आईएएनएस)। क्या 2018 में केरल में आई बाढ़ का संबंध जलवायु परिवर्तन से है? एक अध्ययन में पाया गया है कि प्रदेश में लंबी अवधि में भारी मॉनसूनी बारिश में वृद्धि नहीं हुई है। शोधकर्ताओं की माने तो जलवायु परिवर्तन से बाढ़ की त्रासदी से संबंध स्थापित करना कठिन है।

यह शोध-विश्लेषण भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-गांधीनगर स्थित जल और जलवायु प्रयोगशाला के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है, जिन्होंने जलविज्ञान के नजरिए से बाढ़ की त्रासदी को देखी है।

केरल में भारी बारिश, तापमान और कुल बाढ़ में हुए दीर्घकालिक (1951-2017) परिवर्तन का विश्लेषण करते हुए शोधकर्ताओं ने कहा है कि 66 साल की अवधि में प्रदेश में मॉनसूनी बारिश में काफी कमी आई, जबकि तापमान में वृद्धि हुई।

शोध के प्रमुख लेखक विमल मिश्र ने मोंगाबे-इंडिया को बताया, “दीर्घकालिक प्रवृत्ति से पता चलता है कि केरल में मॉनसून सीजन में सूखा और गर्मी का मौसम बना रहा है। वैश्विक तपन (ग्लोबल वार्मिग) युग से पूर्व केरल में 1924 और 1961 में दो बार भारी बारिश हुई थी।”

मिश्र ने कहा, “इसलिए, हमारी परिकल्पना है कि 2018 की घटना पूर्व की घटना (भारी बारिश) जैसी हो सकती है और जलवायु के प्राकृतिक कारणों से प्रेरित हो सकती है। हालांकि, 2018 में केरल में आई बाढ़ पर जलवायु की उष्णता की भूमिका के बारे में पता लगाने की जरूरत है।”

मिश्र ने कहा, “1951-2017 के दौरान भारी बारिश और बाढ़ दोनों में कमी आई है। इसके अलावा, प्रदेश में भारी बारिश की आवृत्ति में भी कोई ज्यादा वृद्धि नहीं हुई है। लिहाजा, प्रवृत्ति पर गौर करें तो 2018 की घटना चकित करने वाली है।”

मिश्र ने कहा, “जलवायु परिवर्तन से दुनियाभर में भारी बारिश और बाढ़ की घटनाओं का गहरा संबंध देखा जा रहा है। इसलिए, हमें बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि होने को लेकर जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से लेना चाहिए।”

आईआईटी-बंबई की जलवायु वैज्ञानिक अर्पिता मंडल ने कहा, “हमें समझना होगा कि बाढ़ जलविज्ञान संबंधी घटना है और जरूरी नहीं है कि यह वायुमंडलीय घटना हो। जलविज्ञान में बारिश होने पर होने वाली घटनाओं का अध्ययन किया जाता है।”

उन्होंने कहा, “भारी बारिश से बाढ़ आना जलग्रहण क्षेत्र की विशेषता और स्थानीय कारकों पर निर्भर करता है।”

पारिस्थितिकी विज्ञानी राजीव चतुर्वेदी ने कहा कि केरल में 1951-2017 के दौरान भारी बारिश और कुल बारिश में वृद्धि का दिखाई न देना कोई हैरानी वाली नहीं है, क्योंकि प्रकाशित साहित्य में केरल में आमतौर पर सूखा होने की चर्चा की गई है।

उन्होंने कहा, “अधिकांश शोधकर्ता इस बात से सहमत हैं कि केरल में आज सूखे की समस्या है और भविष्य में भी बाढ़ नहीं, बल्कि सूखे की समस्या बनी रहेगी।”

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