नई दिल्ली, 30 जनवरी (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में केरल के मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता एम.वी. जयराजन को दोषी ठहराने के राज्य उच्च न्यायालय के फैसले को शुक्रवार को बरकरार रखा। हालांकि न्यायालय ने उनकी सजा की अवधि छह माह से घटाकर चार माह कर दी।
न्यायमूर्ति विक्रमाजीत सेन की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने जयराजन को दोषी ठहराने के उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि उन्हें उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ की गई अपनी टिप्पणी पर कोई अफसोस नहीं है।
जयराजन ने जुलाई 2010 में एक जनसभा के दौरान न्यायाधीशों के खिलाफ असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल किया था। उन्होंने न्यायालय द्वारा सड़क किनारे होने वाली सभाओं पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद न्यायाधीशों के खिलाफ इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया था।
उच्च न्यायालय ने उनके बयान को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए अक्टूबर 2010 में मामले पर सुनवाई शुरू की थी। आठ नवंबर, 2011 में न्यायालय ने उन्हें अवमानना का दोषी ठहराया था और छह माह कैद की सजा सुनाई थी।
हालांकि उन्हें एक सप्ताह जेल में बिताने के बाद सर्वोच्च न्यायालय से जमानत मिल गई थी।
कन्नूर से दो बार माकपा के विधायक रह चुके जयराजन को सर्वोच्च न्यायालय ने हालांकि कुछ राहत दी है। न्यायालय ने शुक्रवार को उनकी सजा छह माह से कम करते हुए चार माह कर दी।
न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए जयराजन ने कहा कि उन्हें फैसला मंजूर है।
इसके साथ ही जयराजन राज्य के पहले ऐसे नेता बन गए हैं जिन्हें अवमानना के मामले में जेल की सजा हुई है।
केरल सरकार के सूत्रों ने कहा कि जैसे ही उन्हें सर्वोच्च न्यायालय का फैसला मिलेगा, जयराजन को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
जयराजन (54) फिलहाल राज्य समिति के सदस्य हैं और उन्हें पार्टी का एक तेजतर्रार नेता माना जाता है।