Sunday , 3 November 2024

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केमिकल रंग न कर दे होली को बदरंग

यही नहीं, प्राकृतिक रंगों के नाम पर भी केमिकल वाले रंग ही बेचे जा रहे हैं। ऐसे में यह रंग त्वचा ही नहीं आंख, कान और पूरे शरीर पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं।

आमतौर पर होली पर रंग की तरह बिकने वाले और बहुतायत से उपयोग में लाए जाने वाले पदार्थ ऑक्सीकृत धातुओं से बने होते हैं, हरा रंग कॉपर सल्फेट से बनाया जाता है, जिसे आम भाषा में तूतिया कहा जाता है, जो शरीर के लिए घातक है।

जानकार बताते हैं कि बाजारों में मिलने वाला लाल रंग पारे के सल्फाइड में बनता है, जबकि काला रंग शीशे के ऑक्साइड से बनाया जाता है। इसके अलावा इन रंगों में एस्बेस्टस, खड़िया पावडर या सिलिका जैसे हानिकारक पदार्थ भी मिले रहते हैं जो त्वचा और सेहत पर बुरा प्रभाव डालती है।

चिकित्सकों की मानें तो एस्बेस्टस यदि एक बार शरीर में प्रवेश कर जाए तो यह बरसों बाहर नहीं निकलता है। इसकी सूक्ष्म मात्रा भी कैंसर पैदा करने का कारक बन सकती है। यही नहीं, इससे फेफड़ों का गंभीर रोग एस्बेस्टोसिस भी हो सकता है। यह केमिकल वाले रंग एक बार आंख में पड़ जाए तो आंख में लालिमा, जलन और सूजन से लेकर हमेशा-हमेशा के लिए आंख की रोशनी को खत्म कर सकती है। वहीं कुछ संवेदनशील लोगों में तो रंग में मिले हानिकारक पदार्थ हमेशा के लिए एलर्जी और दमे की तकलीफ तक पैदा कर सकते हैं।

जानकार बताते हैं कि इन रंगों से बचने के लिए जरूरी है कि रंग देखभाल कर खरीदें जाएं। अव्वल रंग ऐसे हो जो पानी में आसानी से और पूरी तरह से घुल जाए। यही नहीं स्थायी रंग, स्याहियां, सुनहरे और चमकीले, चांदी जैसे रंग और पेंट न खरीदें। यही नहीं रंग खरीदने से पहले उसे चुटकी से मसलकर देखें, यदि रंग चेहरे पर लगाने वाले टेल्कम पावडर की तरह चुटकी में मसल रहा है तो वह रंग खरीदने लायक हैं।

इसके बावजूद होली के रंग खेलते समय केमिकल वाले रंग शरीर के किसी अंग में पड़ जाए तो खबराए नहीं।

डॉ. अविनाश कुमार कहते हैं कि रंग यदि आंख में रंग पड़ जाए और जलन महसूस हो तो उसे उंगली से रगड़ने की बजाय तत्काल ठंडे पानी से धो लें।

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सरोज कुमार की मानें तो केमिकल युक्त रंगों से आंख की रेटिना पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जलन होने पर यदि उंगली से आंख को रगड़ दिया जाए तो घाव भी हो सकता है। ऐसे में आंख की रोशनी भी जा सकती है। लिहाजा, आंख में रंग पड़े तो तत्काल ठंडे पानी से धोने के बाद लुब्रिकेंट आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें। अधिक जलन महसूस हो तो सिट्रिजीन की एक गोली खा सकते हैं। इसके बाद किसी बेहतर नेत्र चिकित्सक को अपनी आंख जरूर दिखाएं।

कान व गले की देखभाल :

ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. प्रथम त्रिपाठी के अनुसार, कान पर जोर से गुब्बारा लगने से कान का पर्दा फट सकता है। इससे कम सुनाई देने लगे या चक्कर आएं तो विशेषज्ञ को दिखाएं। फौरन डॉक्टर से संपर्क कर पाना संभव न हो और असहनीय दर्द हो तब पेनकिलर लें, लेकिन कान में तेल न डालें।

होली खेलते समय अगर कान में पानी चला जाए तो घबराएं नहीं, कई बार यह मूवमेंट होने पर अपने आप निकल जाता है। लेकिन अगर कान में भारीपन महसूस हो तो फौरन डॉक्टरी सलाह लें। उन्होंने बताया कि जिन लोगों का कान बहता है, वे होली खेलने से पहले तेल में भीगी हुई रूई को कान में लगा लें। ईयरबड या माचिस की तीली को कान में न डालें।

गले की तकलीफ :

रंग चले जाने से गले में जलन महसूस हो तो गुनगुने पानी या पानी में बीटाडिन मिलाकर गरारे करें। लेकिन जलन व सूजन बढ़ती जाए तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

त्वचा का भी रखे ख्याल :

त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. महेंद्र सक्सेना बताते हैं कि कैमिकल युक्तरंगों में कांच के टुकड़े होते हैं। जब इन रंगों को रगड़ा जाता है तो त्वचा छिल जाती है जिससे काफी दर्द व जलन होने लगती है। ऐसी स्थिति होने पर त्वचा को पानी से अच्छी तरह धोएं और मॉइश्चराइजर या लोशन का प्रयोग करें। अगर त्वचा के रैशेज दो-तीन दिन बाद भी ठीक न हों और धीरे-धीरे बढ़ने लगे तो डमेर्टोलॉजिस्ट से संपर्क करें।

जिन लोगों की त्वचा सेंसेटिव हो या एक्जिमा की समस्या हो, उन्हें रंगों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसके अलावा अस्थमा के रोगियों को सूखे रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

होली खेलने से पहले नारियल तेल या जैतून का तेल त्वचा व बालों पर लगाएं। वहीं त्वचा को केमिकल से बचाने के लिए रंग खेलने जाने से कम से कम 10 मिनट पहले चेहरे पर सनस्क्रीन और मॉयश्चराइजर लगाएं। होंठों को हानिकारक रंगों से बचाने के लिए होंठों पर लिप बाम की मोटी परत लगाएं। नाखूनों पर ट्रांसपैरेंट नेलपालिश लगाएं। त्वचा पर नारियल, बादाम, औलिव या सरसों का तेल लगाएं और कानों के पीछे भी तेल लगाना न भूलें।

केमिकल रंग न कर दे होली को बदरंग Reviewed by on . यही नहीं, प्राकृतिक रंगों के नाम पर भी केमिकल वाले रंग ही बेचे जा रहे हैं। ऐसे में यह रंग त्वचा ही नहीं आंख, कान और पूरे शरीर पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं।आमतौर यही नहीं, प्राकृतिक रंगों के नाम पर भी केमिकल वाले रंग ही बेचे जा रहे हैं। ऐसे में यह रंग त्वचा ही नहीं आंख, कान और पूरे शरीर पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं।आमतौर Rating:
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