नई दिल्ली- दीवाली के त्योहार के मौके पर केजरीवाल सरकार द्वारा दिल्ली में पटाखों पर लगाए गए पूर्ण प्रतिबंध का कड़ा विरोध करते हुए स्वदेशी जागरण मंच ने कहा है कि यह अनुचित फैसला है जिसका उद्देश्य भावनाओं को आहत करना और लाखों श्रमिकों के रोजगार को झटका देना है।
स्वदेशी जागरण मंच ने दिल्ली पुलिस से यह भी स्पष्ट करने का आग्रह किया है कि क्या वे पटाखे फोड़ने पर दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली के नागरिकों को गिरफ्तार करने के दिए गए मनमाने आदेशों का पालन करेंगे ?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा कि मंच दिल्ली सरकार द्वारा दीवाली के त्योहार के दौरान पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध का कड़ा विरोध करता है, यह अनुचित है और इसका उद्देश्य भावनाओं को आहत करना और देश में पटाखों के उत्पादन और वितरण में संलग्न लाखों श्रमिकों और अन्य लोगों के रोजगार को झटका देना है। उन्होंने दिल्ली सरकार के साथ-साथ दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा हरित पटाखों पर भी प्रतिबंध लगाने के अंतिम समय के निर्णय को अत्यंत निंदनीय, मनमाना और जनविरोधी बताते हुए कहा कि यह फैसला किसी भी वैज्ञानिक आधार से रहित है और यह दीपावली के अवसर पर भावनाओं को भी आहत कर रहा है।
पटाखों से होने वाला प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से चीन से अवैध रूप से आयातित पटाखों को जिम्मेदार बताते हुए महाजन ने कहा कि बिना किसी वैज्ञानिक आधार के ग्रीन पटाखों पर प्रतिबंध लगाना समझदारी नहीं है, जो काफी कम प्रदूषण फैलाने वाले हैं।
उन्होंने स्वदेशी जागरण मंच की तरफ से अन्य राज्य सरकारों से भी दीपावली के दौरान पटाखों पर लगाए गए प्रतिबंध (अगर उन्होंने लगाया है तो) को रद्द करने का आग्रह करते हुए कहा कि पटाखों के दुष्प्रभाव के झूठे प्रचार को दरकिनार करते हुए दीपावली के अवसर पर पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध से बचें। पिछले कुछ समय से बिना किसी तथ्यात्मक जानकारी के सरकारें दिवाली के अवसर पर सभी प्रकार के पटाखों पर प्रतिबंध लगाने जैसी कार्रवाई करती रही हैं, जो पूरी तरह से अनुचित और अवैज्ञानिक है और लोगों की भावनाओं पर हमला है।
महाजन ने पराली की समस्या का जिक्र करते हुए कहा कि यह बड़े खेद की बात है कि सरकारी एजेंसियां पंजाब, हरियाणा और दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों में पराली जलाने की समस्या का समाधान करने में विफल रही हैं। यह बिना किसी संदेह के सिद्ध हो गया है कि राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के उत्तरी राज्यों में पराली जलाना वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत है और दीपावली के अवसर पर पटाखों पर प्रतिबंध लगाकर, दिल्ली सरकार प्रदूषण के वास्तविक कारण से ध्यान हटाते हुए लोगों को गुमराह करने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने सभी राज्य सरकारों से पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की समस्या का स्थायी समाधान खोजने का प्रयास करने का आग्रह करते हुए दावा किया कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में दीपावली के अवसर पर पटाखों को जलाने की परंपरा और पटाखा उत्पादन में लगे लाखों लोगों की आजीविका को ध्यान में रखते हुए पहले ही दीपावली के अवसर पर पटाखों की अनुमति दे दी थी।