लखनऊ, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने गुरुवार को संविधान निर्माता बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर की 125वीं जयंती पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को जमकर कोसा। इन सरकारों के खिलाफ वह बेहद आक्रामक रुख में नजर आईं। उन्होंने यहां तक कहा कि यदि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को जीत मिलती है और उनकी सरकार बनती है तो वह मौजूदा सरकार के सभी आर्थिक फैसलों की जांच कराएगी।
अंबेडकर जयंती पर यहां अंबेकर पार्क में आयोजित रैली को संबोधित करते हुए मायावती ने सूबे की समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार करते हुए कहा, “सरकारी अधिकारी वर्तमान मुख्यमंत्री को किक्रेट मैच तो जितवा सकते हैं, लेकिन चुनाव नहीं जितवा सकते। उप्र में अगली सरकार बसपा की ही बनेगी।”
कानून व्यवस्था के मुददे पर अखिलेश सरकार को घेरते हुए मायावती ने कहा कि बसपा सरकार में सारे गुंडे और अपराधी या तो प्रदेश छोडकर चले गए थे या भूमिगत हो गए थे। लेकिन आज अपराध और गुंडागर्दी चरम पर है। दलितों का उत्पीड़न चरम पर पहुंच गया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), हैदराबाद विश्वविद्यालय के बाद अब जम्मू एवं कश्मीर में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) के मुद्दे पर जिस तरह का व्यवहार कर रही है, उससे ऐसा लगता है कि मोदी सरकार उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्रों को आरएसएस के एजेंडे पर चलने के लिए मजबूर कर रही है।
उन्होंने कहा, “पिछले कुछ समय से ऐसा देखने को मिल रहा है कि तरह-तरह के हथकंडों को अपनाकर अप्रत्यक्ष तौर पर छात्रों पर आरएसएस की विचारधारा थोपने का प्रयास किया जा रहा है।”
उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे दलित व मुस्लिम छात्रों के साथ केंद्र सरकार भेदभाव कर रही है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे का विरोध करना इसका उदाहरण है।
‘भारत माता की जय’ बोलने को लेकर उठे विवाद के बीच मायावती ने इसे लेकर आरएसएस पर जमकर प्रहार किया। मायावती ने कहा, “हिन्दुस्तान से प्यार दर्शाने के लिए ‘भारत माता की जय’ बोलने की जरूरत नहीं है। इसके लिए कई अन्य प्रतीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है। लोगों को ‘भारत माता की जय’ बोलने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। ऐसा करने का प्रयास हिंदूवादी संगठनों की तरफ से किया जा रहा है।”
मायावती ने कहा कि बसपा के कार्यकर्ता हमेशा ‘जय भीम, जय भारत’ का नारा लगाते हैं। यह राष्ट्रभक्ति दर्शाने का एक प्रतीक ही है। इसी तरह कोई भी इस तरह के अन्य प्रतीकों का इस्तेमाल कर सकता है।
इससे पहले उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उत्तर प्रदेश ईकाई के नए अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य के आपराधिक इतिहास को एक बार फिर कुरेदने की कोशिश की।
मायावती ने मौर्य पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, “केशव का आपराधिक इतिहास रहा है। वह घोर जातिवादी हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के बंधुआ मजूदर हैं।”
उन्होंने कहा कि सपा, भाजपा दलितों को लुभाने के लिए तरह-तरह की नौटंकी कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि दलितों को लुभाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार उत्तर प्रदेश पहुंच रहे हैं। पांच अप्रैल को उन्होंने नोएडा में बाबू जगजीवन राम को याद किया। यदि सही मायने में वह दलितों के हितैषी होते तो सासाराम जाकर जगजीवन राम को श्रद्घांजलि देते।
आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में सर्वोच्च न्यायालय में दर्ज याचिका को मायावती ने विरोधियों की साजिश करार दिया। उन्होंने कहा याचिकाकर्ता कमलेश से जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कराई गई है। वह बसपा के अभियान को थामना चाहते हैं।
मायावती ने कहा कि दलितों को लुभाने के लिए मोदी सरकार छोटे-छोटे स्मारक बनवा रही है, लेकिन लखनऊ में बना अम्बेडकर पार्क सबपर भारी पड़ेगा।
उन्होंने अरोप लगाया कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने दलितों के उत्थान के लिए कोई काम नहीं किया। हैदराबाद विश्वविद्यालय के दलित छात्र रोहित वेमुला का जिक्र करते हुए मायावती ने दलितों से अपील करते हुए कहा कि वे आत्महत्या करने की बजाय लड़ने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि अपना हक लेने के लिए दलितों को लड़ना होगा।