मुंबई, 12 जुलाई (आईएएनएस)। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि कृषि और ग्राम्य अवसंरचना में अधिक निवेश की जरूरत है।
जेटली ने यहां नाबार्ड के एक सम्मेलन ‘कृषि समस्या का शमन और कृषि आय में वृद्धि’ में कहा, “कृषि क्षेत्र में जहां उत्पादकता काफी कम है और 85 फीसदी किसान सीमांत श्रेणी में आते हैं, वहीं कृषि में लागत अधिक आती है, सिंचाई सुविधा काफी कम है, किसान कर्ज में डूबे हुए हैं, प्रभावी बीमा व्यवस्था का अभाव है और यह क्षेत्र जलवायु परिवर्तन से भी प्रभावित हो रहा है।”
उन्होंने कहा कि भारत चार फीसदी कृषि विकास दर भी बरकरार नहीं रख पा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय किसानों ने अनाज के क्षेत्र में आत्म निर्भरता हासिल की है।
शुक्रवार के एक आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक 10 जुलाई की स्थिति के अनुसार खरीफ सत्र में बुआई क्षेत्र गत वर्ष की समान तिथि के मुकाबले 60 फीसदी अधिक है।
एक बड़ा निवेश कृषि और ग्राम्य अवसंरचना में किए जाने की जरूरत है, जिसमें खास तौर से सिंचाई पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू की है, जिसमें पांच साल में 50 हजार करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान रखा गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र में एक व्यावहारिक बीमा योजना पर काम कर रही है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि आगामी दिनों में भी मानसूनी बारिश जून की तरह ही होगी। अच्छी बारिश होने से तिलहन और दलहन की उपज बढ़ेगी, जिसमें महंगाई अभी काफी अधिक है।