(खुसुर-फुसुर)– मप्र भाजपा के कई कार्यकर्ता किसान सम्मलेन में शामिल होने के बहाने भोपाल आये और अपनी किस्मत की गाडी पर लाल-बत्ती की आस ले जा पहुंचे सहज उपलब्ध होने वाले संगठन महामंत्री के पास.कार्यक्रम की थकावट से थके -हारे संगठन महामंत्री ने उन्हें सनातन प्रवचन सुना दिया .भैया तेरी कुण्डली मैंने तो बनायी नहीं जो उसमें लाल-बत्ती लगा दूं,जो लिख गया वही होगा है ना ?समझ गया ना भैया ?कई लोग दफ़न हो गए तब उस जमीन पर तू खड़ा है.अब जा बड़े मुश्किल से इतने सालों के बाद कुछ बत्तियां दी हैं अब आगे किसको क्या मिलता है,जो कुंडली में लिखा होगा वह मिलेगा बाकी नहीं.
कार्यकर्ता आपका ही आसरा है ,आप जैसा कहें कहता हुआ जैसे ही सीढ़ियों से नीचे उतरा ,कड़क हो सीधे चलता हुआ बोला …….जब कुंडली से ही मिलना है तो इनके आगे क्यों झुकें? चलो घर देर हो रही है.