नई दिल्ली, 10 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कृषि वैज्ञानिकों से अपील की है कि वे देश में छोटी जोत वाले किसानों की विशाल संख्या देखते हुए उनकी जरूरतों के हिसाब से तकनीक विकसित करें और उनके प्रसार पर जोर दें।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने ये बात शनिवार को कासरगोड, केरल स्थित केंद्रीय रोपण फसल अनुसंधान संस्थान के शताब्दी समारोह समापन कार्यक्रम में कही।
सिंह ने कहा कि केरल में कृषि जोत, राष्ट्रीय औसत 1.15 हेक्टेयर के मुकाबले 0.22 हेक्टेयर है, इसलिए खेती को लाभकारी बनाने के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली और लो वॉल्यूम-हाई वैल्यू फसलें अपनाने की जरूरत है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि नारियल के साथ काली मिर्च, केला, जायफल, अनानास, अदरक, हल्दी, जिमीकंद को शामिल कर बहु फसलचक्र प्रणाली अपनाने से प्रदेश के किसानों का लाभ होगा।
उन्होंने कहा, “भारत, दुनिया के अग्रणी नारियल उत्पादक राष्ट्रों में शामिल है। इसमें केरल का योगदान उल्लेखनीय है। वर्ष 2014-15 में केरल का 32 प्रतिशत क्षेत्रफल और 24 प्रतिशत उत्पादन देश में अंकित किया गया है। कोकोनट डेवलपमेंट बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2015-16 में नारियल उत्पादों का कुल 1450 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया है।”
सिंह ने कहा, “कृषि मंत्रालय ने किसानों के हित में कई योजनाएं शुरू की है। केरल में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत प्रदेश में कारपुझा एवं मुवात्तुपुझा स्थानों पर मार्च 2018 तक सिंचाई योजना पूरा करने का लक्ष्य है। सॉयल हेल्थ कार्ड योजना के तहत केरल में जहां 7,05,420, सॉयल हेल्थ कार्ड वितरित करने का लक्ष्य था उसमें से अभी तक केवल 1,32,828 सॉयल हेल्थ कार्ड ही वितरित किए गए हैं।”
परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत कुल 119 कलस्टर काम कर रहे हैं, जिन्हें 382.22 लाख रुपये की राशि जारी की जा चुकी है, जिसके संदर्भ में प्रदेश सरकार दवारा उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रतीक्षित है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए एक क्रांतिकारी बीमा योजना है, लेकिन केरल में अब तक यह योजना लागू नहीं हो पाई है।
राष्ट्रीय कृषि बाजार (ईनैम) में अब तक ई पोर्टल के माध्यम से छह सितंबर 2016 तक 250 मंडियों को जोड़ा गया है और मार्च 2018 तक कुल 585 मंडियों को जोड़े जाने का लक्ष्य है, मगर केरल में ई मंडी स्कीम लागू नहीं की जा सकी है।
मंत्री ने इस अवसर पर संस्थान के शताब्दी वर्ष में कृषि से जुड़े विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने के लिए संस्थान के वैज्ञानिकों, अधिकारियों और कर्मचारियों की सराहना की।