नई दिल्ली, 20 मार्च (आईएएनएस)। काले धन का पता लगाने तथा इसे रखने वालों को दंडित करने के लिए कालाधन-रोधी विधेयक शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया गया।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद अघोषित विदेशी आय व संपत्ति (नया कर) विधेयक 2015 शुक्रवार को लोकसभा के पटल पर रखा गया।
अघोषित विदेशी आय एवं संपत्ति (नया कर) विधेयक, 2015 में एक छोटी अवधि का राहत दिए जाने का प्रावधान है, जिसमें आयकरदाता यहां आकर विदेशों में जमा धन व संपत्ति की जानकारी देने के साथ ही टैक्स व जुर्माना चुकाकर जेल जाने से बच सकेंगे।
इस विधेयक में विदेशी संपत्ति से संबंधित कर की चोरी करने वालों के लिए अधिकतम 10 वर्षो के कठोर कारावास का प्रावधान किया गया है।
इसके साथ ही छिपाई गई आय या संपत्ति पर लगने वाले कर का 300 फीसदी की दर से जुर्माना भी देय होगा।
इसके प्रावधानों के तहत विदेशी आय व संपत्तियों को छिपाना समझौते के अयोग्य होगा और उल्लंघन करने वालों को विवाद को सुलझाने के लिए समझौता आयोग जाने की अनुमति नहीं होगी।
नए कानून के मुताबिक, किसी भी अघोषित विदेशी संपत्ति या विदेशी संपत्ति से अघोषित आय पर कर अधिकतम सीमांत दर के हिसाब से लगेगा।
विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि आयकर रिटर्न नहीं दाखिल करने अथवा विदेशी संपत्ति के अपर्याप्त खुलासे के साथ रिटर्न दाखिल करने पर सात साल का कठोर कारावास हो सकता है।
अगले महीने फिर से शुरू होने वाले लोकसभा के सत्र के दौरान विधेयक पर चर्चा होगी, जिसके बाद उसे पारित करने के पहले उसकी समीक्षा के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जा सकता है।
समाचारपत्र इंडियन एक्सप्रेस में पिछले महीने छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2006-07 के दौरान एचएसबीसी बैंक की जेनेवा शाखा में 1,195 भारतीयों के खाते थे।
रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार ने 350 विदेशी खातों का आकलन पूरा कर लिया है, जबकि 60 खाताधारकों के खिलाफ कर चोरी की कार्रवाई शुरू की गई है।
उल्लेखनीय है कि भारत ने वैश्विक तौर पर समयबद्ध रूप में कर सबंधी सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान की वकालत की है, जिसपर जी20 देशों ने भी सहमति जताई है।
पिछले साल नवंबर में जी20 ब्रिस्बेन शिखर सम्मेलन के दौरान नेताओं ने नई वैश्विक पारदर्शिता मानकों का समर्थन किया था, जिसके तहत देश एक साझा रिपोर्टिग स्टैंडर्ड 2017-18 द्वारा कर संबंधी सूचनाओं का आपस में आदान-प्रदान करेंगे।
भारत के पास अवैध रूप से विदेशों में रखे धन का हालांकि कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है, लेकिन अनाधिकारिक अनुमान के मुताबिक यह 466 अरब डॉलर से लेकर 1,400 अरब डॉलर हो सकता है।