आगरा। आगरा का कामाच्छा देवी मंदिर नवरात्र में भक्तों की श्रद्धा का प्रमुख केंद्र रहता है।
परंपरा-
नवरात्र में प्रतिदिन भंडारे हो रहे हैं और फूल बंगले सजाये जा रहे हैं।
अष्टमी और नवमी को कन्या लांगुरा पूजन और रात्रि जागरण किया जाएगा।
इतिहास-
पुजारी राकेश शर्मा ने बताया कि प्राचीन काल में यहां टीले थे। करीब 90 साल पूर्व यहां देवी की प्रतिमा जमीन से प्रगट हुई थी। यह प्रतिमा गुवाहाटी की सिद्धपीठ कामाख्या देवी की प्रतिरूप हैं। कामाच्छा देवी प्रतिमा के बाद यहां नौ देवियों की प्रतिमाएं पुजारी बंगाली भगत ने प्रतिष्ठापित कीं। जिससे इसका नाम नव दुर्गा कामाच्छा देवी मंदिर रखा गया। मंदिर में ब्रहृमलीन बंगालीबाबू पहले पुजारी थे। उनके बाद स्व.रमनलाल शर्मा, स्व.लक्ष्मीकांत शर्मा ने इसकी व्यवस्था संभाली। अब पूजा पाठ कराने वालों में नरेंद्र कुमार शर्मा, हरेश पंडित आदि प्रमुख हैं।
यमुना किनारा मार्ग पर किसी जमाने में मंदिर की एक लंबी श्रृंखला थी। इनमें से अब कुछ ही शेष हैं। जहां श्रद्धा और भक्ति का समागम होता है। मंदिरों में अपने मन की मुराद पूरी करने के लिए शहरवासियों की कतार लगी रहती है। मंदिरों की इन्हीं श्रंखला के बीच हाथीघाट पर एक देवी मंदिर है, जो नवरात्र में भक्तों की श्रद्धा का प्रमुख केंद्र रहता है। यमुना में स्नान करने वाले इस मंदिर मे आकर पुण्य लाभ लिया करते थे। अब भले ही यमुना में स्नान करने वाले नहीं आते। लेकिन इस देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या कम नहीं है। इस मंदिर परिसर में राम दरबार, शिव परिवार, हनुमान की प्रतिमाएं भी हैं।