कोलकाता, 30 जनवरी (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल के कामदुनि गांव में करीब ढाई वर्ष पहले एक स्नातक की छात्रा के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म मामले में शनिवार को अदालत ने तीन दोषियों को मृत्युदंड जबकि तीन अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
उत्तर 24 परगना जिले के कामदुनि गांव में सात जून, 2013 को विद्यालय से पढ़कर लौट रही 20 वर्षीया पीड़िता के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या करने वाले छह आरोपियों को न्यायालय ने गुरुवार को दोषी करार दिया था।
दुर्लभतम श्रेणी के इस मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संचिता सरकार ने सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के दोषी सैफुल अली, अंसार अली और अमीन अली को मौत की सजा सुनाई।
सामूहिक दुष्कर्म, आपराधिक षडयंत्र और सबूत नष्ट करने के दोषी पाए गए शेख इमानुल इस्लाम, अमीनुर इस्लाम और भोला नासकर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
तीन दोषियों को मृत्युदंड की सजा की खबर मिलते ही पीड़िता के परिजन और कामदुनि गांव के लोग रो पड़े और उन्होंने अदालत के फैसले की सराहना की।
मामले में कुल नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन गुरुवार को अदालत ने तीन आरोपियों, रफीकुल इस्लाम और नूल अली को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया, जबकि एक अन्य आरोपी गोपाल नास्कर की सुनवाई के दौरान ही मौत हो चुकी है।
पीड़िता के भाई ने फैसले पर रोते हुए कहा कि वह आरोपमुक्त कर दिए गए दो आरोपियों पर फैसला वापस लेने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलेंगे।
सजा निर्धारित करने के लिए शनिवार को हुई सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि यह मामला दुर्लभतम श्रेणी का नहीं है, इसलिए दोषियों को मृत्युदंड नहीं दी जा सकती।
उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के कई फैसलों का संदर्भ देते हुए कहा कि इस मामले से जघन्यतम कई अन्य मामलों में मौत की सजा नहीं सुनाई गई है।
अभियोजन पक्ष के वकील ने हालांकि पीड़िता के गुप्तांगों पर पाए गए जख्म के निशानों का हवाला देते हुए दोषियों को मौत की सजा सुनाने की मांग की और कहा कि दोषियों ने दोषी करार दिए जाने के बाद भी किसी तरह का पछतावा व्यक्त नहीं किया है।
पीड़िता को न्याय दिलाने और दोषियों को मौत की सजा दिलाने के लिए गठित मंच से जुड़े टुम्पा कोयल और मौसमी कोयल के नेतृत्व में कामदुनि गांव के लोगों ने अदालत के फैसले की सराहना की है और कहा कि न्याय की उनकी लड़ाई पूरी हुई।
मामले में पुलिस पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए फोरम के सदस्यों ने राष्ट्रपति सहित कई शीर्ष नेताओं और अधिकारियों के आगे गुहार लगाई और सुनवाई में तेजी लाने की मांग की।
मामले में न्याय के लिए सितंबर, 2013 में हुए विरोध-प्रदर्शन के दौरान सुरक्षाकर्मियों के साथ हाथापाई में पीड़िता के एक रिश्तेदार, जो मामले में एकमात्र चश्मदीद गवाह भी थे, की मौत के बाद पुलिस को काफी अलोचना झेलनी पड़ी थी।
इसके बाद कोलकाता और राज्य के कई अन्य हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन तेज हो गया था।