नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने बुधवार को एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। इस दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान के मुख्यमंत्रियों के इस्तीफे की मांग को लेकर हुए हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही बाधित हुई।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने एकजुट होकर सरकार पर हमला किया, जिस कारण मानसून सत्र के दूसरे दिन लोकसभा तथा राज्यसभा में भारी हंगामा हुआ।
सरकार ने आईपीएल के पूर्व प्रमुख ललित मोदी से संबंधों के मामले में सुषमा तथा राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और व्यावसायिक परीक्षा मंडल घोटाले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग नामंजूर कर दी।
भ्रष्टाचार के आरोपों के जवाब में भाजपा ने भी मोर्चा खोल लिया और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत तथा उनके करीबी सहयोगियों पर शराब से जुड़े भ्रष्टाचार का आरोप लगाया तथा रावत के इस्तीफे की मांग की।
रावत ने आरोपों को खारिज कर दिया, लेकिन कांग्रेस ने कहा कि इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई है और इस मामले की समयबद्ध जांच की जाएगी।
इसके बाद, भाजपा ने अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पी.के.थुंगन से जुड़े 1998 के भ्रष्टाचार मामले को उठाया।
इस बीच विपक्षी सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ लोकसभा में नारेबाजी की।
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और वीरप्पा मोइली ने ललित प्रकरण पर स्थगन प्रस्ताव पेश किया, जिसे अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने खारिज कर दिया।
कांग्रेस, वाम दलों सहित सभी विपक्षी दलों के नेता अध्यक्ष की आसंदी के नजदीक जमा हो गए और उन्होंने तख्तियां लहराई, जिनपर मोदी से ललित तथा व्यापमं घोटाले में चुप्पी तोड़ने की मांग लिखी हुई थी।
महाजन ने सदन की कार्यवाही पहले दोपहर तक, फिर अपराह्न दो बजे तक स्थगित कर दी। इसके बाद उपाध्यक्ष एम.थम्बीदुरई ने कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।
संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में भी ऐसा ही हंगामा देखा गया, जहां विपक्ष सुषमा, राजे और शिवराज के इस्तीफे की मांग पर अड़ा हुआ था।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हम सिर्फ चर्चा नहीं कार्रवाई चाहते हैं। इस मुद्दे पर विपक्ष एकजुट दिखा।
सुषमा ने सुबह एक ट्वीट कर सरकार का रुख स्पष्ट कर दिया, जिसमें उन्होंने कांग्रेस के एक नेता पर आरोप लगाया कि उन्होंने पार्टी के एक अन्य नेता संतोष बगरोडिया को राजनयिक पासपोर्ट दिलाने के लिए उन पर दबाव बनाया था।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने कहा कि व्यापमं राज्य का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय मुद्दा है।
जनता दल (युनाइटेड) के नेता शरद यादव ने कहा कि यह परंपरा है कि अगर ऐसे आरोप लगाए जाते हैं तो संबंधित मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हवाला कांड के आरोप लगने पर उन्होंने और भाजपा नेता एल.के.आडवाणी ने इस्तीफा दे दिया था।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि संबंधित मंत्रियों के इस्तीफे के बगैर चर्चा नहीं हो सकती।
सत्ता पक्ष की प्रतिक्रिया भी उग्र थी। सदन के नेता और वित्तमंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष पर चर्चा न करने देने का आरोप लगाया और कहा कि इनकी रुचि सिर्फ हंगामा करने में है।
उन्होंने कहा, “तथ्य के बगैर हंगामेबाजी स्वीकार्य नहीं है। आपके पास कोई तथ्य नहीं है इसलिए आप सिर्फ शोर-शराबा करना चाहते हैं।”