नई दिल्ली, 21 फरवरी (आईएएनएस)। कांग्रेस ने नालिया सामूहिक दुष्कर्म मामले की जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में किसी वर्तमान न्यायाधीश से कराने की मांग की है, जिसमें कथित तौर पर कच्छ के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता शामिल हैं, साथ ही उसने मुद्दे पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर भी सवाल उठाए हैं।
ऑल इंडिया महिला कांग्रेस की अध्यक्ष शोभा ओझा ने कहा, “निर्भया मामले को हथियार बनाकर सत्ता में आई भाजपा खुद महिला सुरक्षा के लिए खतरा बन गई है। मोदी ने अपना आधा कार्यकाल पूरा कर लिया है, लेकिन गुजरात में महिलाओं की सुरक्षा इतनी दुर्भाग्यपूर्ण हो गई है कि उन्हें खुद को भाजपा नेताओं से बचाने की जरूरत आ पड़ी है।”
उन्होंने कहा, “अपराध के प्रति शून्य सहिष्णुता की बात करने वाले प्रधानमंत्री ने दुष्कर्म के एक आरोपी निहाल चंद को मंत्री की कुर्सी पर बिठा दिया।”
कच्छ की 24 वर्षीय एक महिला ने पिछले महीने नालिया कस्बे में एक प्राथमिकी दर्ज कराई है, जिसमें उसने आरोप लगाया है कि बीते एक साल से उसके साथ नौ लोग बार-बार दुष्कर्म कर रहे हैं और इसमें भाजपा के चार स्थानीय नेता भी शामिल हैं।
कथित सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को लेकर गुजरात विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सोमवार को विपक्षी सदस्यों ने जोरदार हंगामा किया, जिसके कारण राज्यपाल ओ.पी.कोहली को पारंपरिक उद्घाटन भाषण की अवधि कम करनी पड़ी।
ओझा ने कहा, “कच्छ के नालिया सामूहिक दुष्कर्म कांड पर प्रधानमंत्री ने चुप्पी क्यों साध रखी है? ‘बेटी बचाओ’ का नारा बिल्कुल खोखला है और भाजपा तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (संघ) के नेता देश में महिलाओं के शोषक बन चुके हैं।”
उन्होंने कहा, “नालिया सामूहिक दुष्कर्म कांड ने भाजपा के चाल, चरित्र और चेहरे को बेनकाब कर दिया है।”
ओझा ने कहा कि नालिया में महिला के साथ छेड़छाड़ जैसी घटना केवल भाजपा तथा आरएसएस के कार्यकर्ताओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें शीर्ष नेता भी शामिल हैं, जिसमें गुजरात तथा भाजपा शासित अन्य राज्यों के नेता हैं।
उन्होंने कहा, “वे पीड़ित के परिवार को धमकाने, ब्लैकमेल करने तथा यहां तक कि लुभाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। वे पीड़िता के चरित्र को भी दागदार करने की कोशिश कर रहे हैं।”
ओझा ने कहा, “गुजरात सरकार के अतीत के रिकॉर्ड के मुताबिक, यह बात साबित हो चुकी है कि विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन असल दोषी को बचाने का एक उपाय है। इस संदर्भ में हम पूछना चाहते हैं कि इस मामले की जांच एक वर्तमान न्यायाधीश द्वारा उच्च न्यायालय की निगरानी में क्यों नहीं कराई जा रही?”