भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने के लिए कांग्रेस ने देश के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का सहारा लिया है. 2002 दंगों के बाद मोदी को वाजपेयी द्वारा दी गई ‘राजधर्म’ वाली नसीहत का जिक्र करते हुए कांग्रेस ने मोदी के खिलाफ एक आर्टिकल अपनी वेबसाइट पर डाला है.
इस लेख का शीर्षक है, ‘नो बडी टू रिमाइंड बीजेपी ऑफ इट्स राजधर्म’. इस लेख में वाजपेयी की तस्वीर का भी इस्तेमाल किया गया है.
कांग्रेस ने कहा है, ‘श्री मोदी ने राजधर्म का पालन नहीं किया. पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जिस व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद के योग्य नहीं समझते थे, क्या आप देश का भविष्य उस व्यक्ति के हाथों में दे सकते हैं?’
इस लेख में कहा गया है, ‘बीजेपी में कोई भी नेता अटल बिहारी वाजपेयी की कद का नहीं हो सकता. पार्टी के इस संस्थापक अध्यक्ष ने 6 साल तक देश की बागडोर संभाली. 2004 में कांग्रेस के हाथों मिली हार के बाद वाजपेयी ने खुद माना था कि मोदी के कार्यकाल में दंगों की वजह से उनकी हार हुई. वह मोदी के खिलाफ कार्रवाई करना चाहते थे. इसकी पुष्टि एनडीए सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह ने भी की थी. वाजपेयी ने तो मोदी के खिलाफ कार्रवाई न होने की स्थिति में इस्तीफे की धमकी भी दे दी थी.’
लेख में आगे लिखा है, ‘वाजपेयी की पीड़ा की वजह थी कि मोदी का राजधर्म का पालन न करना. उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर अपने कर्तव्य नहीं निभाए. वाजपेयी ने मोदी को राजधर्म के पालन करने की नसीहत थी. उनसे कहा था कि वे लोगों को जाति, धर्म और रंग के आधार पर ना बांटे. इससे साफ है कि गुजरात के मुख्यमंत्री दंगे रोकने में तो नाकाम रहे ही साथ में गुजरातियों के साथ भेदभाव भी किया.’
इस आर्टिकल के अंत में लिखा गया है, ‘इतना सबकुछ जानने के बाद यही सवाल उठता है कि बीजेपी के सबसे बड़े नेता जब उस शख्स को मुख्यमंत्री के पद से हटाना चाहते थे तो वह पार्टी का पीएम उम्मीदवार कैसे हो सकता है?’