श्रीनगर, 29 सितम्बर –जम्मू एवं कश्मीर सरकार हाल ही में बाढ़ से हुए 1,00,000 करोड़ रुपये के नुकसान से संबंधित एक ज्ञापन केंद्र को सौंपेगी। यह जानकारी शीर्ष अधिकारियों ने दी। इस बाढ़ में जानमाल को काफी नुकसान पहुंचा था। 280 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
सात सितंबर को आई बाढ़ के बाद पहली बार मीडिया से मुखातिब राज्य सरकार ने कहा कि क्षति से संबंधित ज्ञापन को मंत्रिमंडल की तरफ से सप्ताह के अंत में मंजूरी मिल जाने के बाद केंद्र सरकार को सौंपा जाएगा।
मुख्य सचिव मुहम्मद इकबाल खांडी ने कहा, “हम बुरे दौरे से गुजर रहे हैं। मानवजीवन में कश्मीर में ऐसी बड़ी आपदा नहीं आई है और मुझे लगता है कि सभी को इस बात का अहसास है कि यह कोई साधारण घटना नहीं थी।”
राज्य सरकार का कहना है कि झेलम नदी में सात सितंबर को 1.40 हजार क्यूसेक पानी का प्रवाह था। यह 112 साल पहले 1902 में भी नहीं हुआ था।
उन्होंने कहा, “बारिश एक सितंबर को शुरू हुई और एक सप्ताह तक अनवरत जारी रही, लेकिन झेलम नदी की सहायक नदियों में कई बार बादल फटने से जलस्तर न बढ़ता तो बारिश इतनी बड़ी तबाही नहीं मचाती।”
खांडी ने कहा कि 281 लोगों की इस बाढ़ में मौत हो गई। इनमें से 196 लोगों की मौत जम्मू और 85 मौतें घाटी में हुईं।
उन्होंने बताया, “बाढ़ से 5,642 गांव प्रभावित हुए, जिनमें से 800 गांव दो सप्ताह तक जलमग्न रहे और 12.50 लाख परिवार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए।”
सचिव ने कहा, “83,044 पक्के घरों को नुकसान पहुंचा जबकि 96,089 घरों को आंशिक नुकसान हुआ। इसके अतिरिक्त 21,162 अर्ध पक्के घर पूरी तरह से नष्ट हो गए और 54,264 घरों को आंशिक नुकसान हुआ।”
खेती को हुए नुकसान के बारे में उन्होंने कहा, “फसलों को 4,043 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ जबकि बागवानी को 1568 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। कुल 6.51 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि को भी क्षति पहुंची।”
मुख्य सचिव के अनुसार, “सड़क, बिजली आपूर्ति, जल आपूर्ति योजना सहित सार्वजनिक सेवा व आधारभूत चीजों को हुए नुकसान का अनुमान 3,000 करोड़ रुपये लगाया गया है।”
खांडे ने कहा कि यह नुकसान का शुरुआती अनुमान है और अंतिम आंकड़े के लिए टीम काम कर रही है।
सचिव ने बताया कि राज्यभर में 90 फीसदी बिजली की आपूर्ति अस्थायी रूप से कर दी गई है, जबकि 3,000 किलोमीटर सड़क अस्थायी रूप से ठीक किए गए हैं। बाढ़ में 6,000 किलोमीटर सड़क को नुकसान पहुंचा है।