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 कश्मीर में आतंक का बदलता रूप, पैर पसारता आईएस (आईएएनएस तहकीकात) | dharmpath.com

Wednesday , 27 November 2024

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कश्मीर में आतंक का बदलता रूप, पैर पसारता आईएस (आईएएनएस तहकीकात)

नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। हिंसा के स्थानीय सौदागर हुर्रियत के समर्थन से पाकिस्तान के छद्म युद्ध का एक दरवाजा बंद होते ही दूसरा दरवाजा इस्लामिक खिलाफत लिखे मार्ग के साथ खुलता है, जिसमें क्रूर स्पर्धा है और कुछ हद तक घाटी में कश्मीर के लोगों को कमजोर बना रहा है।

दूसरा दरवाजा थोड़ा ही खुला है, लेकिन इसे स्थानीय युवक आदिल अहमद डार द्वारा पुलवामा में किए गए आत्मघाती बम विस्फोट की शक्तिशाली कल्पना के जरिए ठोकर मारकर खोला जा रहा है।

अफजल गुरु, बुरहान वानी और जाकिर मूसा से शुरू हुई स्थानीय जंगियों और विचारकों के पोस्टर की लंबी फेहरिस्त में डार नया नाम बन कर उभरा है।

ये सभी जंगी युवक सोशल मीडिया और आजादी की नई परिभाषा से जन्मी ‘आजादी’ की पीढ़ी के हैं। राजनीतिक इस्लाम खुद को नैतिकतावादी धार्मिक इस्लाम के रूप में ढाल रहा है।

भारत का सुरक्षा तंत्र आईएस में आस्था रखने वाले देसी आतंकवाद के सिर उठाने को लेकर चिंचित है। इस बात पर पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के आला पुलिस अधिकारी और कश्मीर रेंज के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एस.एम. सहाय ने मुहर लगाई थी।

विश्व समुदाय के अपने आप में सिमट जाने और अधिक संकीर्ण बनकर हस्तक्षेप करने वाले इस्लामिक जिहादी के लिए दरवाजा बंद कर लेने से अब सभ्यताओं का टकराव कड़वी सच्चाई बन गई है।

यह इस्लाम बनाम ईसाई या इस्लाम बनाम हिंदू धर्म या शुद्धतावादी इस्लाम बनाम अशुद्धतावादी इस्लाम हो सकता है, जिसका खेल दुनिया के विभिन्न हिस्सों में चल रहा है।

आस्तिकों और नास्तिकों के बीच दुनिया बंट चुकी है। भारत में रक्तपात को अंजाम देने के पाकिस्तान के इरादे का मुख्य केंद्र कश्मीर बन गया है, जोकि भारत के खुफिया और सुरक्षा तंत्र के लिए चिंता का विषय है।

श्रीलंका में बमबारी की घटनाओं के बाद भय का माहौल बना हुआ है। इस्लामी कट्टरपंथी के मन में तकफीर समाया हुआ है, जिसके कारण वह धर्म पथ से भटके लोगों को निशाना बनाते हैं। इसलिए तकफीर में तीन तरह का अलगाव है, जिसके लिए वह अशुद्ध मुस्लिम को भी निशाना बनात हैं। इसलिए निशाने पर अहमदिया, शिया और सूफी हो सकते हैं, जो पूरी दुनिया में क्रमबद्ध तरीके के देखे जा रहे हैं।

उदाहरण के तौर पर बांग्लादेश में हिफाजत-ए-इस्लाम ने खुद को चर्चा में लाने के लिए अहमदिया को निशाना बनाया।

मई 2013 में शाप्ला स्क्वेयर विरोध या मोतीझील जनसंहार, जिसे ऑपरेशन शाप्ला या ऑपरेशन फ्लैश आउट कहा जाता है, वह इसी प्रक्रिया का हिस्सा है।

इस्लामी दबाव समूह हिफाजत-ए-इस्लाम ने मीडिया में इस्लाम के प्रति पूर्वाग्रह बंद करने के मकसद से ईशनिंदा कानून को हटाने की मांग को लेकर ढाका में भारी प्रदर्शन किया।

प्रदर्शनकारियों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने रैपिट एक्शन बटालियन और बॉर्डर गार्ड को उतारा। इसके फलस्वरूप पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन हुआ, जिसमें तकरीबन 20 से लेकर 61 लोग मारे गए।

कश्मीर घाटी में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी कमांडर बुरहान वानी ने अगस्त 2015 में अपने पहले वीडियो में खिलाफत को स्थापित करने के लिए दक्षिण कश्मीर में युवाओं से हथियार उठाने की अपील की।

छह मिनट का यह वीडियो काफी प्रभावी साबित हुआ, क्योंकि इसे मोबाइल संदेश व अन्य सोशल मीडिया नेटवर्क के माध्यम से प्रसारित किया गया।

वीडियो में वाणी को एक बाग में राइफल और पवित्र कुरान की एक प्रति के साथ दिखाया गया है और उसके बगल में दो आतंकी खड़े हैं। इस नए तरह के आतंक के उभरने से सुरक्षा तंत्र हैरान था, क्योंकि इसमें महज भारत विरोधी अभियान के लिए समर्थन नहीं मांगा गया था, बल्कि इसमें घाटी में खिलाफत को स्थापित करने का एक बड़ा इस्लामी एजेंडा था।

उसका शागिर्द जाकिर मूसा ने इसका अनुकरण किया और उसने खुद को हुर्रियरत से दूर रखकर उनको चुनौती पेश की।

पहली बार अंसार गजवा-ए-हिंद को मजबूत आधार मिला। मई 2017 में मूसा ने कश्मीर में शरिया लागू करने की राह में अड़चन डालने वालों का शिर काटने का आह्वान किया।

कश्मीर में आतंक का बदलता रूप, पैर पसारता आईएस (आईएएनएस तहकीकात) Reviewed by on . नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। हिंसा के स्थानीय सौदागर हुर्रियत के समर्थन से पाकिस्तान के छद्म युद्ध का एक दरवाजा बंद होते ही दूसरा दरवाजा इस्लामिक खिलाफत लिखे मार नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। हिंसा के स्थानीय सौदागर हुर्रियत के समर्थन से पाकिस्तान के छद्म युद्ध का एक दरवाजा बंद होते ही दूसरा दरवाजा इस्लामिक खिलाफत लिखे मार Rating:
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