नई दिल्ली, 7 फरवरी-राष्ट्रीय राजधानी में शांतिपूर्ण मतदान के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। दिल्ली पुलिस, होमगार्ड सहित अर्धसैनिक बल के 75 हजार से ज्यादा हथियारबंद जवान चप्पे-चप्पे पर तैनात होंगे। आपातकाल में मगर इतने बड़े और भारी-भरकम लाव-लश्कर के बीच बिना एक लम्हा गंवाये समन्वय बनाने का काम करेगा एक इकलौता मगर बेहद महत्वपूर्ण कंट्रोल रूम। यह कंट्रोल रूम बनाया गया है राज्य चुनाव मुख्यालय (कश्मीरी गेट) परिसर में प्रथम मंजिल पर।
इस कंट्रोल रूम की भी अपनी तमाम गोपनीयताएं और खासियतें हैं। मसलन इस कंट्रोल रूम में कई वायरलेस सेट स्थापित किए गए हैं। इन सभी वायरलेस सेट को चुनावी मशीनरी से जुड़े तमाम संबंधित आला-अफसरों के साथ मौजूद पुलिस अधिकारियों से डायरेक्ट कनेक्ट किया गया है, ताकि दिल्ली पुलिस और चुनाव मशीनरी के बीच सामंजस्य की जरूरत के वक्त एक लम्हे का भी विलंब न हो।
इस विशेष मगर अस्थायी कंट्रोल रूम को सीधे दिल्ली पुलिस मुख्यालय से भी जोड़ा गया है ताकि आपात स्थिति में जरूरत पड़ने पर दिल्ली पुलिस महकमे को तमाम आला-अफसरान को संबंधित सूचना प्रसारित की जा सके। इस कंट्रोल रूम में मौजूद ऑपरेटर्स की ट्रेनिंग का काम शुक्रवार शाम तक पूरा कर लिया गया था। वायरलेस सेट आपस में कनेक्ट हो पा रहे हैं या नहीं? इसकी पुख्ता पुष्टि कर ली गई है।
कंट्रोल रूम का बाकायदा एक नोडल अफसर बनाया गया है। नोडल अफसर एक तरीके से अपने आप में खुद भी चलते-फिरते कंट्रोल रूम का दूसरा रूप होगा। कंट्रोल में मौजूद वायरलेस सेट और इनसे जुड़े अफसरों को बाकायदा नए और गोपनीय ‘कॉल-साइन’ जारी किए गए हैं। इस कंट्रोल रूम का नोडल अफसर सीधे-सीधे चुनाव मशीनरी के अफसरों के साथ जुड़ा होगा।
नोडल अफसर और सेंट्रल कंट्रोल रूम (कश्मीरी गेट) दोनों आपस में तो एक दूसरे के संपर्क में रहेंगे ही साथ-साथ इन दोनों की जिम्मेदारी होगी राज्य चुनाव मुख्यालय मशीनरी के बीच बिना वक्त गंवाए सामन्जस्य कायम करना। कश्मीरी गेट स्थित राज्य चुनाव मुख्यालय में इस विशेष कंट्रोल रूम की स्थापना की भी प्रमुख वजह हैं। यहीं से पूरी दिल्ली की चुनाव (मतदान-मतगणना) व्यवस्था का संचालन होना है। इसी इमारत में राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी डॉ. रणबीर सिंह का कार्यालय है। लिहाजा आपात स्थिति में जरूरत पड़ने पर यह कंट्रोल रूम बेहद काम का साबित होगा।