श्रीनगर, 13 अक्टूबर (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर की कारोबारी संस्थाओं ने केंद्र सरकार से मंगलवार को आग्रह किया कि राष्ट्रीय जल विद्युत निगम (एनएचपीसी) द्वारा गैर कानूनी रूप से संचालित राज्य की बिजली परियोजनाओं को वापस किया जाए और राज्य को एक मुक्त आर्थिक जोन घोषित किया जाए।
कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री(केसीसीआई) के अध्यक्ष मुश्ताक अहमद वानी ने कहा, “राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए एनएचपीसी द्वारा गैर कानूनी रूप से संचालित सभी बिजली परियोजनाएं लौटाई जाएं।”
जम्मू चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री(जेसीसीआई) के अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा कि जिन बिजली परियोजनाओं की करार अवधि समाप्त हो गई है केंद्र सरकार को उन्हें तुरंत लौटाना चाहिए।
गुप्ता ने कहा, “हम हमेशा केंद्र सरकार के समक्ष भीख का कटोरा लेकर क्यों खड़े रहें? इस निर्भरता को समाप्त किया जाना चाहिए।”
दो शीर्ष व्यापारिक संगठनों ने कहा कि इस मुद्दे पर वे एकमत हैं।
राज्य सरकार अपनी बिजली की स्थिति को सुधारने के लिए एनएचपीसी से 390 मेगावाट के दुल हस्ती और 690 मेगावॉट के उरी-प्रथम को राज्य को लौटाने की मांग कर रही है।
गुप्ता ने कहा, “सिल्क मार्गों की तरह ही हमारे ऐतिहासिक व्यापार मार्गो को भी खोला जाना चाहिए ताकि हम मध्य एशिया, चीन, रूस, ईरान आदि के साथ व्यापार कर सकें।”
गुप्ता के मुताबिक, अगर भारत और पाकिस्तान दोनों खुद को उनके शुभ चिंतक बताते हैं तो उन्हें इस मांग पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
राज्य के दो विभाजित भागों के बीच नियंत्रण रेखा के बारे में वानी ने कहा कि उस पर प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।
वानी ने कहा, “वर्तमान में हम नियंत्रण रेखा से 21 वस्तुओं का व्यापार करते हैं। हमारी मांग है कि कोई सकारात्मक प्रतिबंधित सूची नहीं होनी चाहिए बल्कि नकारात्मक सूची आनी चाहिए और अन्य सभी वस्तुओं के व्यापार की मंजूरी दी जानी चाहिए।”
गुप्ता ने कहा, “अगर व्यापार इसी तरह से चलता रहता है तो इसे दोनों देशों के केवल कुछ ही लोगों को लाभ मिलेगा। असली निवेशक और व्यापारियों को इसमें नुकसान ही होगा।”
गुप्ता ने कहा कि कश्मीर के दोनों विभाजित भागों में यात्रा झंझट मुक्त होनी चाहिए।
गुप्ता ने कहा कि पर्यटन राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और इस उद्यम से जुड़े लोगों को इसका खास लाभ मिलना चाहिए।
दोनों संस्थाओं ने सरकार से कारोबारी समुदायों के ईमानदार करदाताओं को परेशान न करने को भी कहा है।
गुप्ता ने कहा, “हम कर चोरी करने वालों का कभी समर्थन नहीं करेंगे। लेकिन अगर ईमानदार करदाताओं को डराया, धमकाया गया तो हम आर्थिक अनुशासन तोड़ने से भी नहीं डरेंगे और कर देना बंद कर देंगे।”
जम्मू एवं कश्मीर प्रांतों के बीच संवाद की खाई को राज्य में ध्रुवीकरण का जिम्मेदार बताते हुए गुप्ता ने कहा कि दोनों प्रांतों में व्यापारिक संस्थाओं और नागरिक समाज को नियमित रूप से मुलाकातें करनी चाहिए और राज्य से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए और मुद्दों को सरकार तक ले जाना चाहिए।