नई दिल्ली: कर्नाटक सरकार द्वारा मुस्लिमों के चार फीसदी आरक्षण को खत्म किये जाने को सुप्रीम कोर्ट ने गलत बताया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुसलमानों का सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में चार फीसदी आरक्षण खत्म करने का कर्नाटक सरकार का फैसला प्रथम दृष्टया त्रुटिपूर्ण है. सुप्रीम कोर्ट ने वोक्कालिगा और लिंगायत समुदायों के लिए आरक्षण में दो-दो प्रतिशत वृद्धि करने को भी त्रुटिपूर्ण बताया है. बता दें कि जल्दी ही कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में कर्नाटक की बीजेपी सरकार का ये फैसला विवादों में है. अब इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है.
न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि अदालत के सामने पेश किए गए रिकॉर्ड से ऐसा प्रतीत होता है कि कर्नाटक सरकार का फैसला “पूरी तरह से गलत धारणा” पर आधारित है. कर्नाटक के मुस्लिम समुदाय के सदस्यों की ओर से पेश वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल, दुष्यंत दवे और गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि कोई अध्ययन नहीं किया गया था और मुसलमानों का आरक्षण खत्म करने के लिए सरकार के पास कोई वास्तविक आंकड़ा नहीं था.