नई दिल्ली, 29 अप्रैल- पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने बुधवार को सरकार से सवाल किया कि नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे भगोड़ों के ऋण बट्टे खाते में क्यों डाले गए।
चिदंबरम एक संवाददाता सम्मेलन में उस विवाद पर टिप्पणी कर रहे थे, जिसमें कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार ने मेहुल चोकसी और विजय माल्या सहित 50 विलफुल डिफाल्टरों के कर्ज बट्टे खाते में डाल दिए हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के उन आरोपों का जवाब दिया, जिसमें उन्होंने कहा है कि ज्यादातर ऋण संप्रग सरकार के दौरान दिए गए थे औैर मोदी सरकार उसे वसूलने की कोशिश कर रही है।
चिदंबरम ने कहा, “तकनीकी तौर पर ऋण को बट्टे खाते में डालने का रास्ता भगोड़ों पर नहीं अपनाया जाना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि उनके विचार से इस तरह के मामलों में तकनीकी राईट-ऑफ नहीं किया जाना चाहिए था और इसके साथ ही उन्होंने सवाल किया कि इन नियमों को कौन लागू कर रहा है।
कांग्रेस के आरोपों के बाद पार्टी और सरकार के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ऋण को बट्टे खाते में डाल रही है, जबकि केंद्रीय सूचना मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि बट्टे खाते में डालने का मतलब माफ करना नहीं है और उन्होंने राहुल गांधी से इस बारे में पी. चिदंबरम से ट्यूशन लेने को कहा।
कांग्रेस ने शीर्ष 50 विलफुल डिफाल्टर्स के 68,607 करोड़ रुपये के कर्ज को बट्टे खाते में डालने के लिए मंगलवार को सरकार की निंदा की, और कहा कि सरकार और वित्तमंत्री को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा डिफाल्टर्स की मदद कर रही है।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “सरकार ने 68,607 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाल दिए हैं। प्रधानमंत्री मौन रहकर इस सवाल से बच नहीं सकते।”
सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी ने संसद में इस सवाल को पूछा था, लेकिन सरकार ने जवाब नहीं दिया था। उन्होंने कहा, “लेकिन अब एक आरटीआई के खुलासे में माफी की व्यापकता सामने आ गई है।”