नई दिल्ली, 3 जून (आईएएनएस)। मानसूनी बारिश के दीर्घावधि औसत से 12 फीसदी कम रहने का अनुमान जारी किए जाने के एक दिन बाद सरकार ने बुधवार को कहा कि इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार पूरी तरह से तैयार है।
कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “यदि बारिश कम होगी, तो कृषि क्षेत्र में निश्चित रूप से कुछ नुकसान होगा।”
सिंह ने कहा, “लेकिन योजना तैयार है, ताकि कृषि क्षेत्र और अर्थव्यवस्था को कम से कम नुकसान हो।”
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन ने मंगलवार को कहा था कि मानसून के दौरान बारिश औसत से कम 88 फीसदी रह सकती है, जिसमें चार फीसदी कम या अधिक की मॉडल त्रुटि शामिल है।
उन्होंने साथ ही चेतावनी दी थी कि दिल्ली, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में 85 फीसदी ही बारिश हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि फरवरी और मार्च में बेमौसम बारिश के कारण भी फसलें बर्बाद हुई थीं।
मानसून का देश के कुल बारिश में 75 फीसदी और कुल सिंचाई में 50 फीसदी योगदान रहता है। यह जलाशयों के भरने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा, “इस साल मानसून की विफलता सबसे बड़ा जोखिम है और सरकार के हस्तक्षेप करने के बाद भी खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है।”
मानसून के अनुमान में नकारात्मक संशोधन किए जाने का शेयर बाजार पर भी नकारात्मक असर रहा। बंबई स्टॉक एक्सचेंज के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स में मंगलवार जहां 660.61 अंकों की गिरावट दर्ज की गई थी, वहीं बुधवार को भी इसमें 351.18 अंकों की गिरावट दर्ज की गई।
कमजोर मानसून से निपटने के लिए महाराष्ट्र ने राज्य में क्लाउड सीडिंग के लिए निविदा आमंत्रित की है। राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर चर्चा की थी।
इस बीच निजी क्षेत्र की मौसम भविष्यवाणी कंपनी स्काईमेट ने पश्चिमोत्तर भारत में औसत से अधिक बारिश की संभावना खारिज की और कहा कि पश्चिमी मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सामान्य बारिश हो सकती है।
स्काईमेट में मौसम विभाग के उपाध्यक्ष जी.पी. शर्मा ने आईएएनएस से कहा, “यह भी संभावना है कि मानसून आखिरी चरण में मजबूत हो जाए। मानसून कभी एक समान नहीं रहता। यह देर से प्रवेश कर सकता है और इसके बाद भी अच्छी बारिश हो सकती है।”