नई दिल्ली, 6 सितम्बर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन से 19 सितंबर से पहले जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई करने से मना किया है।
न्यायमूर्ति संदीप सचदेवा ने विश्वविद्यालय प्रशासन से अपीली प्राधिकरण के खिलाफ विद्यार्थियों की याचिका पर जवाब देने के लिए भी कहा है।
विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से नौ फरवरी को विश्वविद्यालय परिसर में कन्हैया कुमार के विवादित भाषण की जांच के लिए एक अपीली प्राधिकरण का गठन किया गया था और अपीली प्राधिकरण ने अपनी जांच में कन्हैया को अनुशासन तोड़ने का दोषी पाया था। उल्लेखनीय है कि कथित तौर पर नौ फरवरी के उस विवादित कार्यक्रम में देशविरोधी नारे लगे थे।
कन्हैया कुमार ने इसके बाद अपीली प्राधिकरण के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
अपीली प्राधिकरण ने कन्हैया कुमार पर जुर्माना लगाया था और एक शपथ-पत्र जमा करने के लिए कहा था कि वह विश्वविद्यालय परिसर में किसी भी तरह की अवैध गतिविधि में न तो हिस्सा लेंगे और न ही उस दौरान वहां उपस्थित रहेंगे।
कन्हैया कुमार की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने उच्च न्यायालय को बताया कि कन्हैया से यह लिखकर देने के लिए कहना कि वह किसी अवैध गतिविधि वाली जगह उपस्थित भी नहीं रहेंगे, ज्यादती है।
सोमवार को आए उच्च न्यायालय के इस आदेश से कन्हैया के साथ ही उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य सहित उन 21 विद्यार्थियों को भी राहत मिली है, जिन्हें अपीली प्राधिकरण ने अनुशासन भंग करने का दोषी करार दिया था।
गौरतलब है कि इस अपीली प्राधिकरण के अध्यक्ष खुद कुलपति हैं और प्राधिकरण ने विश्वविद्यालय की उच्चस्तरीय जांच समिति (एचएलईसी) के फैसले को कायम रखा था।
एचएलईसी की जांच के आधार पर विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों पर निलंबन, छात्रावास से निष्कासन, अर्थदंड जैसी कार्रवाइयां की थीं। अपीली प्राधिकरण ने जहां कुछ विद्यार्थियों पर लगाए गए जुर्माने की राशि घटा दी थी, वहीं शेष दंड उसी तरह कायम रखे गए थे।