नई दिल्ली, 10 जून (आईएएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बीते हफ्ते कच्चे तेल के दाम में फिर तेजी लौटी है। बेंचमार्क कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड का भाव फिर 63 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चला गया है और आगे और तेजी रहने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में पेट्रोल और डीजल के दाम में लगातार हो रही रही गिरावट पर विराम लग सकता है। बीते सप्ताह ब्रेंट क्रूड का भाव 60 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गया था।
देश की राजधानी दिल्ली में 29 मई के बाद पेट्रोल के दाम में 1.30 रुपये और डीजल के दाम में 2.19 रुपये प्रति लीटर की कमी आई है।
तेल के दाम में हुई इस गिरावट से देश के आम उपभोक्ता के साथ-साथ नई सरकार को भी राहत मिली है क्योंकि इससे एक तो आने वाले दिनों में महंगाई में कमी आएगी और दूसरा तेल आयात का बिल कम होने से राजकोष पर भार घटेगा। मगर, यह राहत अब ज्यादा दिनों तक नहीं मिलने वाली है क्योंकि तेल उत्पादक व आपूर्तिकर्ता देशों के समूह ओपेक ने इस बात का संकेत दिया है कि वह उत्पादन में कटौती को आगे भी जारी रख सकता है।
ओपेक देशों के बीच पिछले साल बनी सहमति के अनुसार, इस साल के आरंभ से ही तेल के उत्पादन में रोजाना 12 लाख बैरल की कटौती जारी है। यह सहमति इस महीने के आखिर तक जारी रहेगी। ओपेक की अगली बैठक इसी महीने 25 जून को होने वाली है जिसमें इस संबंध में फैसला लिया जा सकता है।
ओपेक द्वारा दिए गए संकेत से ही पिछले कारोबारी सप्ताह के आखिरी सत्र में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में तकरीबन तीन फीसदी की तेजी आई जिससे प्रेरित होकर भारतीय वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर शुक्रवार को कच्चे तेल का वायदा भाव चार फीसदी से ज्यादा उछला।
एमसीएक्स पर शुक्रवार को कच्चे तेल का जून वायदा अनुबंध 154 रुपये यानी 4.30 फीसदी की तेजी के साथ 3,736 रुपये प्रति बैरल पर बंद हुआ।
वहीं, अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर ब्रेंट क्रूड का अगस्त डिलीवरी अनुबंध 2.63 फीसदी की तेजी के साथ 63.29 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ, जबकि न्यूयार्क मर्के टाइल एक्सचेंज पर अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट का जुलाई अनुबंध 2.78 फीसदी की तेजी के साथ 55.31 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ।
उर्जा विशेषज्ञ बताते हैं कि कच्चे तेल के दाम में आई गिरावट के बाद पेट्रोल और डीजल के दाम घटने से आम उपभोक्ताओं के साथ-साथ नई सरकार को भी बड़ी राहत मिली है क्योंकि ऐसा माना जाता था कि लोकसभा चुनाव के बाद तेल विपणन कंपनियां पेट्रोल और डीजल के दाम में वृद्धि कर सकती हैं। मगर, चुनाव के बाद जो दाम में वृद्धि का सिलसिला चल पड़ा वह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम में आई गिरावट के बाद जल्द ही थम गया और फिर पेट्रोल और डीजल के दाम घटने लगे।
हालांकि अब उनका कहना है कि ओपेक ने अगर तेल के दाम में कटौती जारी रखी तो आने वाले दिनों में कच्चे तेल के दाम में तेजी बनी रह सकती है, जिसके दाम पेट्रोल और डीजल के दाम में कटौती के बजाय वृद्धि हो सकती है।