मुंबई, 30 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक में बैंकों की ओर से कारपोरेट क्षेत्र को दिए जाने वाले ऋणों से संबंधित नियम बनाने के एक प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।
हितधारकों में वितरित किए गए श्वतेपत्र के मुताबिक, बैंक ने कहा है कि अधिकतम कर्ज की सीमा को वर्तमान 55 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी किया जाना चाहिए और बैंकों को यह भी फिर से तय करना चाहिए कि कंपनी की किस संपत्ति में ऋण लेने की अर्हता है।
प्रस्ताव का मकसद बैंकों की गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) को कम करना है।
प्रस्ताव पर हितधारकों की राय 30 अप्रैल तक मांगी गई है।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि किसी एक कंपनी या विभिन्न संबंधित कंपनियों के समूह दिए गए सभी प्रकार के ऋणों का योग किसी भी वक्त बैंक के उपलब्ध योग्य पूंजी के 25 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए।
प्रस्तावित दिशानिर्देश एक जनवरी 2019 से पूरी तरह लागू हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि सरकारी बैंकों का कुल एनपीए सितंबर 2014 तक बढ़कर 5.33 फीसदी हो गया है, जो मार्च 2014 में 4.72 फीसदी था।
इन बैंकों का समस्त एनपीए दिसंबर 2014 तक 2,60,531 करोड़ रुपये हो गया, जो 2011 में 71,080 करोड़ रुपये था।