मुंबई, 2 अगस्त (आईएएनएस)। विशेष मकोका अदालत ने मंगलवार को लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य और 26/11 के मुंबई आतंकी हमले की साजिश रचने वाले शेख जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबु जुंदाल और छह अन्य दोषियों को 2006 के औरंगाबाद हथियार मामले में मृत्युर्पयत उम्रकैद की सजा सुनाई।
दो अन्य दोषियों को 14 साल की उम्रकैद और तीन अन्य दोषियों को आठ-आठ साल कैद की सजा सुनाई गई। सभी दोषियों पर 20-20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
विशेष मकोका अदालत के न्यायाधीश एस. एल. अनेकर ने गत 28 जुलाई को 12 आरोपियों को दोषी करार दिया था, जिन्हें खचाखच भरी अदालत में मंगलवार को सजा सुनाई गई।
न्यायाधीश अनेकर ने सजा सुनाते हुए कहा कि अदालत किए गए अपराध की गंभीरता, अपराध के लिए पछतावा व्यक्त न करने और आम नागरिकों पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव को ध्यान में रखकर सजा सुना रही है।
जिन लोगों को मृत्युर्पयत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, उनमें अबु जुंदाल, मोहम्मद आमिर शकील अहमद, बिलाल अहमद अब्दुल रजाक, सैयद अकीफ एस. जफरुद्दीन, अफरोज खान शाहिद पठान, फैसल अताउर-रहमान शेख और एम. असलम कश्मीरी शामिल हैं।
दो अन्य दोषियों एम. मुजफ्फर मोहम्मद तनवीर और डॉ. एम. शरीफ शब्बीर अहमद को 14-14 साल कैद की सजा सुनाई गई है।
आठ-आठ साल की कैद पाने वाले तीन अन्य दोषियों में अफजल के. नबी खान, मुश्ताक अहमद एम. इसाफ शेख और जावेद ए. अब्दुल माजिद शामिल हैं।
सजा पाने वाले दोषियों में फैसल अताउर रहमान शेख को 11 जुलाई, 2006 को लोकल ट्रेन में हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट मामले में पहले ही फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है।
इस मामले में कुल 22 आरोपी थे, जिनमें से आठ को सबूत के अभाव सहित कई अन्य कारणों से बरी कर दिया गया। बरी होने वालों में मोहम्मद जुबेर सैयद अनवर, अब्दुल अजीम अब्दुल जलील, रियाज अहमद एम. रमजान, खातिब इमरान अकील अहमद, वकार अहमद निसार शेख, अब्दुल समद शमशेर खान, मोहम्मद अकील इस्माइल मोमिन और फिरोज ताजुद्दीन देशमुख शामिल हैं।
सभी आरोपियों पर से महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत लगाए गए कड़े आरोप हटा लिए गए थे और उन्हें भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं, गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम, विस्फोटक अधिनियम और शस्त्र कानून के तहत दंडित किया गया है।
विशेष अदालत के न्यायाधीश अनेकर ने अभियोजन पक्ष की उस दलील को भी बरकार रखा है, जिसमें कहा गया था कि मामला साल 2002 के गुजरात दंगों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री (वर्तमान प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी और विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया की हत्या के लिए रची गई साजिश का हिस्सा था।
मामले में 22 आरोपियों पर बड़े पैमाने पर विस्फोटक, हथियार और गोला बारूद इकट्ठा करने और 2002 के गुजरात दंगों में कई राजनीतिक नेताओं की भूमिका के लिए उन्हें निशाना बनाने की कथित योजना बनाने के आरोप लगाए गए थे।
अबु जुंदाल की गिरफ्तारी के बाद साल 2013 में मामले की सुनवाई फिर से शुरू हुई और मकोका अदालत में यहां इसी साल मार्च महीने में पूरी हुई।
दो अन्य आरोपियों में एक फरार चल रहे शेख अब्दुल नईम और सरकारी गवाह बनने के बाद मुकरने वाले दूसरे आरोपी महमूद सईद पर अलग-अलग मुकदमा चलाया जाएगा।
विशेष अदालत ने इस तर्क को भी मान लिया कि हथियार, गोला बारूद और विस्फोटक पाकिस्तान से लाए गए थे और सभी आरोपियों का लक्ष्य जिहाद था।
गुप्त सूचना के आधार पर महाराष्ट्र आतंकरोधी दल (एटीएस) ने 8 मई, 2006 को तेज गति से जा रही एक टाटा सूमो और एक टाटा इंडिका को औरंगाबाद के निकट चंदवाड-मनमाड राजमार्ग पर खदेड़ा था।
टाटा सूमो को पकड़ लिया गया और उसमें सवार तीन संदिग्धों को गिरफ्तार कर लिया गया था, जबकि टाटा इंडिका भागने में सफल रहा जिसे कथित रूप से जुंदाल चला रहा था।
एटीएस ने खुल्ताबाद, येओला और मालेगांव इलाके में दो अलग-अलग छापेमारी के बाद 16 एके-47 राइफल, 43 किलोग्राम आरडीएक्स, 32,00 जिंदा कारतूस और 50 हथगोले जब्त किए थे।
भागने में सफल रहने के बाद जुंदाल ने नासिक जिले के मालेगांव में अपने एक दूसरे सहयोगी के पास गाड़ी रख दी और फर्जी पासपोर्ट के आधार पर पहले बांग्लादेश और उसके बाद पाकिस्तान भाग गया।
सऊदी अरब से बीड निवासी जुंदाल के प्रत्यर्पण के बाद उसे जून, 2012 में गिरफ्तार किया गया था।
जुंदाल की निशानदेही पर बाद में एक अलग ठिकाने से 13 किलोग्राम आरडीएक्स, 1200 कारतूस, 50 हथगोले और 22 राउंड मैगजिन बरामद किए गए थे।
मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 100 गवाहों की पड़ताल की, जबकि बचाव पक्ष ने 16 गवाहों से जिरह की।