धर्मशाला, 6 जुलाई (आईएएनएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और दलाईलामा की मुलाकात के दौरान तिब्बत की स्थिति और तिब्बती पठारी क्षेत्र में खराब होते पर्यावरण की वजह से पैदा होने वाले हालात ऐसे मुद्दे थे, जिन पर बातचीत हुई। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने बुधवार को यह जानकारी दी।
तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा की 81वीं जयंती पर तिब्बती मंत्रिमंडल की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ओबामा ने दलाईलामा से ह्वाइट हाउस में 15 जून को मुलाकात के दौरान तिब्बत में तिब्बतवासियों की खराब राजनीतिक हालात और इस पठार पर पर्यावरण की स्थिति खराब होने के संबंध में चर्चा हुई।
बयान के मुताबिक, ओबामा ने तनाव कम करने और मतभेदों का समाधान के लिए दलाईलामा और उनके प्रतिनिधियों की चीनी प्रशासन के बीच सार्थक एवं सीधी बातचीत के लिए प्रोत्साहित किया।
ओबामा ने जलवायु परिवर्तन पर दलाईलामा के नेतृत्व का स्वागत किया और ग्लोबल वार्मिक रोकने को जागरूकता बढ़ाने के लिए उनके प्रयासों को समर्थन जताया। इनमें हिमालय के हिमनदों की रक्षा और तिब्बत के पठार पर पर्यावरण शामिल हैं।
तिब्बत के विशिष्ठ धार्मिक, सांस्कृतिक एवं भाषाई परंपराओं के संरक्षण के लिए अपना पूरा समर्थन देते हुए तिब्बती मंत्रिमंडल या काशाग ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने दलाईलामा की शांति एवं अहिंसा के प्रति प्रतिबद्धता की सराहना की।
धर्मशाला मुख्यालय वाली तिब्बती मंत्रिमंडल ने कहा, “हम अब भी पूरी तरह मध्यमार्गी नीति के प्रति प्रतिबद्ध हैं और हमलोग ठोस उपाय करेंगे कि निकट भविष्य में चीन के साथ बातचीत हो।”
पिछले कुछ दशकों में दलाईलामा ने 67 देशों का दौरा किया है। वह 100 से अधिक पुस्तकें लिख चुके हैं। दलाईलामा विश्व शांति एवं सद्भावना का प्रचार करते हैं।
इस बीच बुधवार को दलाईलामा के जन्मदिन पर उनके लंबे एवं स्वस्थ जीवन के लिए सुबह में प्रार्थना की गई।
भारत करीब एक लाख तिब्बतियों का घर है। तिब्बत पर चीन के शासन के खिलाफ वर्ष 1959 नाकाम विद्रोह के बाद दलाईलामा तिब्बत छोड़ भारत आ गए थे। यहां धर्मशाला में उनकी निर्वासित तिब्बती सरकार है लेकिन इस सरकार को आज तक किसी देश ने मान्यता नहीं दी।