उज्जैन, 31 मार्च (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन की पवित्र नदी ‘शिप्रा’ के जल में ऑक्सीजन की कम मात्रा कम है। इस हाल में नदी में स्नान करने वाले श्रद्धालु बीमार पड़ सकते हैं। इसलिए शिप्रा के तट पर पांच ओजोन गैस संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं, ताकि जल में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़े।
उज्जैन, 31 मार्च (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन की पवित्र नदी ‘शिप्रा’ के जल में ऑक्सीजन की कम मात्रा कम है। इस हाल में नदी में स्नान करने वाले श्रद्धालु बीमार पड़ सकते हैं। इसलिए शिप्रा के तट पर पांच ओजोन गैस संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं, ताकि जल में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़े।
पानी में ऑक्सीजन का महत्व ठीक उसी तरह है, जैसे हवा में ऑक्सीजन की मात्रा। हवा में ऑक्सीजन होगी, तभी इंसान की सांस चलेगी, यही हाल पानी का है। पानी में ऑक्सीजन बैक्टीरिया को पनपने नहीं देती है, और मछली व जल वनस्पति के जीवन में मददगार होती है।
अगर पानी में ऑक्सीजन की तय मात्रा लगभग पांच प्रतिशत से कम हो जाए तो बैक्टीरिया के अनुकूल परिस्थिति बन जाती है, जो जलीय जंतुओं से लेकर वनस्पति तक के लिए घातक होते हैं। इसके साथ ही ऐसे पानी में स्नान करने पर बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
उज्जैन में अप्रैल-मई में सिंहस्थ कुंभ लगने वाला है और इस धार्मिक अनुष्ठान में पांच करोड़ से ज्यादा लोगों के आने की संभावना है। इस मौके पर श्रद्धालुओं का नदी में स्नान करना तय है, लिहाजा पानी साफ और गुणवत्तापूर्ण होना ही चाहिए। मगर शिप्रा के पानी में इस समय ऑक्सीजन की तय मानक मात्रा पांच प्रतिशत से भी कम है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधीक्षण यंत्री हंसकुमार जैन ने आईएएनएस को बताया कि पानी में अगर पांच प्रतिशत तक ऑक्सीजन की मात्रा हो तो वह अच्छा माना जाता है। मगर इस समय शिप्रा के जल में तीन प्रतिशत ही ऑक्सीजन है। यही कारण है कि कुंभ के मद्देनजर शिप्रा नदी के तट पर पांच विभिन्न स्थानों पर ओजोन गैस के प्लांट लगाए जा रहे हैं।
जैन ने बताया कि ओजोन गैस प्लांट लगाए जाने से शिप्रा के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा तीन से बढ़कर आठ प्रतिशत हो जाएगी।
उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन कम होने के कारण सिंहस्थ कुंभ के दौरान आने वाले लाखों-करोड़ों श्रद्धालु एवं संत शिप्रा नदी में नहाएंगे। नहाते समय ने ऑक्सीजन की कम मात्रा के कारण वे बीमार हो सकते हैं, इसी को ध्यान मे रखकर ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने और स्वच्छता के लिए राज्य शासन ने नौ करोड़ रुपये की कार्ययोजना बनाई गई है।
ओजोन संयंत्र लगाने वाली कंपनी पूरब लॉजिस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड (गुड़गांव, हरियाणा) के प्रबंध संचालक डॉ.रजनीश मेहरा ने बुधवार को स्वस्थ शिप्रा अभियान उपसमिति के सदस्यों को बताया कि ‘ओजोनेशन’ एक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा ऑक्सीजन को ओजोन में परिवर्तित कर पानी में मिलाया जाता है। इस ओजोन मिश्रित पानी में किसी भी प्रकार के कीटाणु, रसायन या जैविक गंदगी नहीं टिक पाते।
डॉ. मेहरा के मुताबिक, पानी के अंतिम शुद्धिकरण के लिए ओजोन विश्वभर में अत्यंत प्रचलित है। ओजोन के इसी गुण को देखते हुए सिंहस्थ कुंभ के लिए भी इसका प्रयोग शिप्रा नदी के जल शुद्धिकरण के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि शिप्रा नदी के रामघाट, गऊघाट, लालपुल, मंगलनाथ और नृसिंह घाट में ओजोनेशन संयंत्र लगाए गए हैं। पांचों संयंत्र 24 घंटे चलाए जाएंगे और इनमें प्रतिदिन 100 ऑक्सीजन सिलेंडर प्रयोग में लाए जाएंगे।