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 ऑनलाइन नफ़रत को और अधिक गंभीर बना रहा फेसबुक: ह्विसिलब्लोअर फ्रांसेस हौगेन | dharmpath.com

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ऑनलाइन नफ़रत को और अधिक गंभीर बना रहा फेसबुक: ह्विसिलब्लोअर फ्रांसेस हौगेन

October 27, 2021 9:53 am by: Category: विश्व Comments Off on ऑनलाइन नफ़रत को और अधिक गंभीर बना रहा फेसबुक: ह्विसिलब्लोअर फ्रांसेस हौगेन A+ / A-

फेसबुक ह्विसिलब्लोअर फ्रांसेस हौगेन हानिकारक ऑनलाइन सामग्री पर नकेल कसने के लिए ब्रिटेन सरकार के मसौदा क़ानून पर काम कर रही संसदीय समिति के सामने पेश हुईं और कहा कि फेसबुक सुरक्षा पर मुनाफ़े को प्राथमिकता दे रहा है.

नई दिल्ली- फेसबुक की पूर्व डेटा वैज्ञानिक से ह्विसिलब्लोअर बनीं फ्रांसेस हौगेन ने बीते सोमवार को ब्रिटेन के सांसदों से कहा कि ऑनलाइन नफरत तथा चरमपंथ को फेसबुक और अधिक गंभीर बना रहा है. उन्होंने इस बारे में विचार साझा किए कि ऑनलाइन सुरक्षा में किस तरह सुधार लाया जा सकता है.

हौगेन हानिकारक ऑनलाइन सामग्री पर नकेल कसने के लिए ब्रिटेन सरकार के मसौदा कानून पर काम कर रही संसदीय समिति के सामने पेश हुईं और उनकी टिप्पणियों से सांसदों को नए नियमों को मजबूत करने में मदद मिल सकती है.

वह संसदीय समिति के समक्ष ऐसे समय पर पेश हुईं, जब फेसबुक द्वारा अपनी आय के नवीनतम आंकड़े जारी किए हैं और जब एसोसिएटेड प्रेस (एपी) तथा अन्य समाचार संगठनों ने हौगेन द्वारा कॉपी किए गए कंपनी के आंतरिक दस्तावेजों से संबंधित खबरों के प्रकाशन की शुरुआत कर दी है.

हौगेन ने ब्रिटिश सांसदों से कहा, ‘निश्चित रूप से यह (फेसबुक) नफरत को और गंभीर कर रहा है.’

इस महीने की शुरुआत में हौगेन हानिकारक ऑनलाइन सामग्री पर नकेल कसने के मुद्दे पर अमेरिकी सीनेट के समक्ष भी पेश हुई थीं.

हौगेन ने फेसबुक की अपनी नौकरी छोड़ने से पहले गुप्त रूप से कॉपी किए गए आंतरिक शोध दस्तावेजों का हवाला दिया था.

उन्होंने अमेरिकी सांसदों से कहा था कि उन्हें लगता है कि फेसबुक जैसे डिजिटल माध्यमों की देखरेख के लिए किसी ऐसे संघीय नियामक की जरूरत है, जिस पर ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के अधिकारी पहले से ही काम कर रहे हैं.

हालांकि फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने इन दावों को खारिज किया है, लेकिन एक बात को लेकर सहमति जताई है इंटरनेट रेगुलेशन को अपडेट करने की जरूरत है.

ब्रिटिश सरकार के ऑनलाइन सुरक्षा बिल में एक नियामक स्थापित करने का आह्वान किया गया है, जो कंपनियों को उनके प्लेटफॉर्म से हानिकारक या अवैध सामग्री, जैसे कि आतंकवादी सामग्री या बाल यौन शोषण तस्वीरों इत्यादि को हटाने के लिए जिम्मेदार ठहराएगा.

समिति की अध्यक्षता करने वाले सांसद डेमियन कॉलिन्स ने कहा कि यह कैम्ब्रिज एनालिटिका मामले की तरह ही लगता है, जो कि इन कंपनियों के भीतर क्या चलता है, वो दर्शाता है.

कॉलिन्स डेटा-माइनिंग फर्म कैम्ब्रिज एनालिटिका से जुड़े साल 2018 के मामले का जिक्र कर रहे थे, जिसने लोगों की अनुमति के बिना करीब 87 मिलियन फेसबुक यूजर्स का विवरण इकट्ठा कर लिया था.

ब्रिटेन के नियमों, जो कि अगले साल से लागू होने की संभावना है, के तहत किसी तरह का उल्लंघन होने पर सोशल मीडिया कंपनी को अपने वैश्विक राजस्व का 10 फीसदी तक हर्जाना भरना पड़ सकता है. यूरोपीय संघ भी इसी तरह का प्रस्ताव पेश कर रहा है.

ब्रिटिश कमेटी हौगेन से तकनीकी कंपनियों द्वारा एकत्र किए गए डेटा के बारे में अधिक सुनने की उम्मीद कर रही होगी.

कॉलिन्स ने कहा कि हौगेन ने अमेरिकी अधिकारियों को जो आंतरिक फाइलें सौंपी हैं, वे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये दिखाती हैं कि फेसबुक के पास किस तरह की जानकारी है और इन कंपनियों की जांच करते समय नियामकों को क्या पूछना चाहिए.

समिति पहले ही एक अन्य फेसबुक ह्विसिलब्लोअर, सोफी झांग से पूछताछ कर चुकी है, जिसने होंडुरास और अजरबैजान जैसे देशों में ऑनलाइन राजनीतिक हेरफेर के सबूत मुहैया कराए थे.

फेसबुक कंपनी ही अपने उत्पाद यानी फेसबुक पर अपना नियंत्रण गंवाती जा रही है तथा पिछले कुछ दशकों में उसने विश्व को जोड़ने वाले एक शुभचिंतक कंपनी की जो छवि बनाई थी, वह भी अब चमक खो रही है.

फेसबुक के पूर्व कर्मचारी द्वारा कांग्रेस को प्रदान किए गए आंतरिक दस्तावेजों के अनुसार इस पर प्रसारित सामग्री से होने वाले नुकसान के बारे में पर्याप्त आंकड़ा मौजूद है, लेकिन समाधान और उन पर कार्रवाई को लेकर इच्छाशक्ति का अभाव नजर आता है.

दस्तावेजों द्वारा उजागर किया गया संकट दिखाता है कि कैसे फेसबुक अपने नियमित रूप से घोषित अच्छे इरादों के बावजूद सोशल नेटवर्क को बढ़ाने और कभी-कभी वास्तविक नुकसान को दूर करने के लिए धीमी गति से प्रयास करता है.

हालांकि इन सभी स्थितियों की अंतिम जिम्मेदारी सीईओ मार्क जुकरबर्ग के पास है, जो दुनियाभर में लगभग तीन अरब लोगों को मुफ्त सेवाएं प्रदान करते है.

जुकरबर्ग की फेसबुक इंक पर एक मजबूत पकड़ है. उनके पास कंपनी के अधिकांश शेयर हैं. वह इसके निदेशक मंडल को नियंत्रित करते हैं और उनके आसपास ऐसे अधिकारी हैं जो उनके नजरिये पर सवाल नहीं उठाते हैं.

इन दस्तावेजों के अनुसार, कंपनी अपने सबसे महत्वपूर्ण आबादी- किशोरों और युवा लोगों का ध्यान खो रही है.

नवंबर 2020 के एक आंतरिक दस्तावेज के अनुसार युवा वयस्क अपने पुराने साथियों की तुलना में फेसबुक के साथ बहुत कम जुड़ते हैं, इसे ‘अप्रासंगिक सामग्री’ के साथ ‘पुराने नेटवर्क’ के रूप में देखते हैं.

दूसरे शब्दों में कहें तो अब युवा फेसबुक को वृद्ध लोगों के लिए एक जगह के रूप में देखते हैं. नवंबर 2019 के एक अन्य आतंरिक दस्तावेज के अनुसार यह वर्ग इसे एक ‘पुराना पड़ चुका नेटवर्क मानने लगा है.’ दूसरे शब्दों में कहें तो फेसबुक बुजुर्ग लोगों का स्थान है.

इनके अनुसार फेसबुक ने अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के बाहर उच्च उपयोगकर्ताओं की वृद्धि पर जोर दिया है.

दस्तावेजों के मुताबिक, ‘आंतरिक दस्तावेज दिखाते हैं कि कंपनी अपने सबसे बड़े बाजार में भ्रामक सूचना, नफरत फैलने वाले भाषण और हिंसा का जश्न मनाने वाली सामग्री से संघर्ष कर रही है.’

हौगेन ने इस महीने अमेरिकी सीनेट के समक्ष बयान दिया था कि फेसबुक के उत्पाद ‘बच्चों को नुकसान पहुंचाते हैं, विभाजन को बढ़ावा देते हैं और हमारे लोकतंत्र को कमजोर करते हैं.’

इससे पहले द वायर ने रिपोर्ट कर बताया था कि हौगेन ने कंपनी के आंतरिक दस्तावेजों के हवाले से दर्शाया है कि फेसबुक किस तरह ‘वैश्विक विभाजन और जातीय हिंसा’ को बढ़ावा दे रहा है और ‘राजनीतिक संवेदनशीलता’ के नाम पर ऐसे समूहों (संभवत: आरएसएस से जुड़े ग्रुप्स) के खिलाफ पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए या निगरानी नहीं की गई.दस्तावेज से पता चला कि फेसबुक इस बात से अवगत था कि मुस्लिम विरोधी नरेटिव संदेश हिंसक और भड़काने के इरादे से हिंदू समर्थक आबादी को लक्षित करती हैं. इसने विशेष रूप से आरएसएस समूहों, उपयोगकर्ताओं और पेजों पर भय फैलाने का आरोप लगाया.

एक दस्तावेज में कहा गया है, ‘कई ऐसे अमानवीय पोस्ट लिखे जा रहे हैं जहां मुसलमानों की तुलना ‘सुअर’ और ‘कुत्तों’ से की गई है. इसके साथ ही कुरान को लेकर अफवाह फैलाई जा रही थी कि यह पुरुषों को उनके घर की महिलाओं का रेप करने की इजाजत देता है.’

इसके अलावा फेसबुक के रिसर्चर्स द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट से पता चला है कि फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान वॉट्सऐप पर ‘हिंसा के लिए उकसाने और अफवाहों’ भरे मैसेजेस की बाढ़ आई गई थी और फेसबुक को स्पष्ट रूप से ये जानकारी थी कि उसकी सेवाओं का इस्तेमाल हिंसा भड़काने के लिए किया जा रहा है.

फेसबुक पेपर्स
इसके साथ ही एसोसिएटेड प्रेस सहित 17 अमेरिकी समाचार संगठनों ने ‘फेसबुक पेपर्स’ नाम से खुलासे प्रकाशित करना शुरू किया है.

हौगेन द्वारा प्राप्त कंपनी के आंतरिक दस्तावेजों के हजारों पृष्ठों तक पहुंच प्राप्त करने के लिए बड़े और छोटे, विभिन्न प्रकार के समाचार पत्रों के पत्रकारों ने एक साथ काम किया.

यूरोपीय समाचार संगठन के एक अलग संघ के पास दस्तावेजों के एक ही सेट तक पहुंच थी और दोनों समूहों के सदस्यों ने सोमवार, 25 अक्टूबर को सुबह सात बजे तक सामग्री के अपने विश्लेषण से संबंधित सामग्री प्रकाशित करना शुरू किया.

वह तारीख और समय सहयोगी समाचार संगठनों द्वारा निर्धारित किया गया था. ताकि संघ में सभी को दस्तावेज़ों का पूरी तरह से विश्लेषण करने, प्रासंगिक विवरणों की रिपोर्ट करने और फेसबुक के जनसंपर्क कर्मचारियों को उन खबरों में उठाए गए सवालों का जवाब देने के लिए पर्याप्त समय मिल सके.

संघ के प्रत्येक सदस्य ने दस्तावेज सामग्री और उनके महत्व पर अपनी स्वतंत्र रिपोर्टिंग का अनुसरण किया. दस्तावेजों के बारे में जानकारी और संदर्भ हासिल करने के लिए प्रत्येक सदस्य को समूह ब्रीफिंग में भाग लेने का अवसर भी मिला.

ये पेपर्स खुलासे के संशोधित संस्करण हैं जो हॉगेन ने ‘सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन’ के समक्ष कई महीनों में पेश किए हैं. इनमें आरोप लगाया गया है कि फेसबुक सुरक्षा पर मुनाफे को प्राथमिकता दे रहा है और निवेशकों और जनता से अपने स्वयं के शोध को छुपा रहा है.

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