छग डेमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के सचिव अविनाश अग्रवाल ने बताया कि ऑनलाइन दवाओं की बिक्री से दवाओं के दुरुपयोग की संभावना को रोका नहीं जा सकता। मरीज को दवा के प्रतिकूल प्रभाव एवं सेल्फ-मेडिकेशन से हानि के बारे में जानकारी नहीं होती। ऐसे में दवाओं का दुरुपयोग बढ़ेगा।
उनका कहना है कि ऑनलाइन दवाओं की बिक्री से देशभर के 8 लाख केमिस्ट व 40 लाख कर्मचारी प्रभावित होंगे।
अविनाश अग्रवाल ने कहा कि ऑनलाइन फार्मेसी व्यवसाय भारत में दवा के उचित वितरण को बर्बाद करते हुए नशीली दवाओं का विक्रय कर दवा के गलत इस्तेमाल और खराब, कम गुणवत्ता की दवाओं की उपलब्धता कराते हुए प्रतिकूल दवा प्रभावों को बढ़ावा देंगे। भारत जैसे विकासशील देश में ऑनलाइन दवा की उपलब्धता न केवल तेजधार हथियार का कार्य करेगी, बल्कि जनता के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हुए उन्हें और अधिक बीमारी की ओर ले जाएगी।
प्रेसक्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए अग्रवाल ने कहा कि ऑनलाइन फार्मेसी द्वारा ऑनलाइन प्राप्त दवा के पर्चे को लिखने वाले की प्रामाणिता के लिए कोई मशीनरी नहीं है। साथ ही दवा उत्पादों, निमार्ताओं व फार्मासिस्ट की कोई अधिकृत सूची नहीं है। सभी ऑनलाइन पोर्टल आयकर विभाग में रजिस्टर्ड हैं, लेकिन ये दवा की गुणवत्ता की गारंटी नहीं देते।