नई दिल्ली– केंद्र सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग के संभावित खतरों को लेकर परिजनों और शिक्षकों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है.
इस एडवाइजरी में कहा गया है कि लॉकडाउन की वजह से स्कूलों के बंद होने से बच्चे तेजी से मोबाइल फोन और इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं और ऑनलाइन गेमिंग के आदी हुए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी यह एडवाइजरी भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी द्वारा राज्यसभा में यह मुद्दा उठाने के बाद आई है, जिस पर राज्यसभा सभापति एम. वेंकैया नायडू ने भी गंभीरता दिखाई थी और केंद्र सरकार से इस पर संज्ञान लेने को कहा था.
दरअसल सुशील मोदी ने सदन में कहा था कि बच्चों में ऑनलाइन गेम की बढ़ रही लत को लेकर केंद्र सरकार को इस सेक्टर को रेगुलेट करना चाहिए.
ऑनलाइन गेमिंग को गंभीर लत मानते हुए एडवाइजरी में गेमिंग कंपनियों को भी कटघरे में खड़ा करते हुए कहा गया है कि ये कंपनियां बच्चों को भावनात्मक रूप से गेम के अगले लेवल पर पहुंचने और संबंधित ऐप खरीदने को मजबूर करती हैं.
एडवाइजरी में परिजनों और शिक्षकों के लिए क्या करें और क्या नहीं करें की एक सूची भी दी गई है. इसके साथ ही यह भी सिफारिश की गई है कि कंपनियों को बिना अभिभावकों सहमति के ऑनलाइन गेम संबंधी खरीदारी की अनुमति नहीं देनी चाहिए.
एडवाइजरी में कहा गया, ‘ऐप खरीदारी से बचने के लिए आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुरूप ओटीपी आधारित पेमेंट तरीके को अपनाया जा सकता है. सब्सक्रिप्शन के लिए ऐप पर क्रेडिट या डेबिट कार्ड रजिस्ट्रेशन से बचें. प्रति लेन-देन खर्च की ऊपरी सीमा निर्धारित करें.’
एडवाइजरी में सुझाव दिया गया है कि परिजनों को बच्चों की ऑनलाइन गतिविधि से संबंधित असाधारण गोपनीय व्यवहार पर नजर रखनी चाहिए. बच्चों द्वारा ऑनलाइन विशेष रूप से सोशल मीडिया पर बिताए जाने वाले समय में औचक वृद्धि पर नजर रखने की जरूरत है.