तेल अवीव: इजरायली टेक कंपनी एनएसओ ग्रुप ने रविवार को एक इजरायली अखबार के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया. कंपनी ने अखबार में उन सनसनीखेज खबरों के प्रकाशन के बाद यह कदम उठाया, जिनमें दावा किया गया था कि इजरायली पुलिस ने दर्जनों सार्वजनिक हस्तियों पर नजर रखने के लिए उसके स्पायवेयर का अवैध इस्तेमाल किया था.
इजरायली अखबार ‘कैल्कलिस्ट’ (Calcalist) में हाल के हफ्तों में छपी उन खबरों को लेकर हंगामा विवाद जारी है, जिनमें दावा किया गया है कि पुलिस ने विशिष्ट हस्तियों की निगरानी के लिए एनएसओ समूह के फोन हैकिंग सॉफ्टवेयर स्पायवेयर का व्यापक इस्तेमाल किया था.
एनएसओ समूह का मुकदमा इस महीने की शुरुआत में प्रकाशित एक विशिष्ट लेख पर लक्षित है, जिसमें कहा गया था कि कंपनी ने ग्राहकों को स्पायवेयर के इस्तेमाल के सुराग मिटाने की अनुमति दी थी.
कंपनी ने इजरायली अखबार के इस दावे को सिरे से खारिज किया है. उसने खबरों की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए हैं और इन्हें ‘एकतरफा, पक्षपाती व झूठा’ करार दिया है.
स्पायवेयर के कथित दुरुपयोग को लेकर एनएसओ को चौतरफा आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है.
कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा, ‘मामले की विस्तृत जांच कंपनी और उसके कर्मचारियों को बदनाम करने की एक और साजिश से पर्दा उठाती है. यह साबित करती है कि एनएसओ के बारे में सनसनीखेज शीर्षक वाली हर मीडिया रिपोर्ट हकीकत में तथ्यों पर आधारित नहीं होती है.’
एनएसओ ने ‘कैल्कलिस्ट’ से 10 लाख शेकेल (लगभग 3,10,000 डॉलर) के हर्जाने की मांग की है. उसने दावा किया है कि यह रकम चैरिटी के लिए दी जाएगी.
‘कैल्कलिस्ट’ की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इजरायली पुलिस ने एनएसओ के स्पायवेयर से राजनीतिक दलों के नेताओं, प्रदर्शनकारियों और यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के करीबी लोगों की जासूसी की थी, जिनमें उनका एक बेटा भी शामिल था.
खबर में कहा गया था कि जासूसी के शिकार हुए लोगों में शीर्ष सरकारी अधिकारी, व्यापारिक दिग्गज, पत्रकार और पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के सहयोगी शामिल हैं.
अखबार ने कहा था कि पुलिस ने अदालती मंजूरी लिए बिना ही एनएसओ द्वारा विकसित विवादास्पद स्पायवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया था.
हालांकि, इजरायल के डिप्टी अटॉर्नी जनरल के नेतृत्व में हुई जांच में इन दावों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला, लेकिन पत्रकार तोमर गॉन अपनी खबर पर कायम रहे.
पेगासस एक शक्तिशाली स्पायवेयर है, जो अपने उपभोक्ताओं को लक्षित व्यक्ति के फोन में सेंध लगाने और ‘मैसेज, कॉन्टैक्ट व लोकेशन हिस्ट्री’ सहित अन्य जानकारी जुटाने में सक्षम बनाता है.
इसके जरिये दुनिया के कई देशों में नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, न्यायिक हस्तियों सहित अन्य लोगों की व्यापक निगरानी किए जाने के आरोप लगे हैं.
मालूम हो कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम, जिसमें द वायर भी शामिल था, ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इजरायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिये दुनियाभर में नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे संभावित निशाने पर थे.
इस कड़ी में 18 जुलाई से द वायर सहित विश्व के 17 मीडिया संगठनों ने 50,000 से ज्यादा लीक हुए मोबाइल नंबरों के डेटाबेस की जानकारियां प्रकाशित करनी शुरू की थी, जिनकी पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी की जा रही थी या वे संभावित सर्विलांस के दायरे में थे.
इस एक पड़ताल के मुताबिक, इजरायल की एक सर्विलांस तकनीक कंपनी एनएसओ ग्रुप के कई सरकारों के क्लाइंट्स की दिलचस्पी वाले ऐसे लोगों के हजारों टेलीफोन नंबरों की लीक हुई एक सूची में 300 सत्यापित भारतीय नंबर हैं, जिन्हें मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, न्यायपालिका से जुड़े लोगों, कारोबारियों, सरकारी अधिकारियों, अधिकार कार्यकर्ताओं आदि द्वारा इस्तेमाल किया जाता रहा है.
यह खुलासा सामने आने के बाद देश और दुनियाभर में इसे लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था.
बता दें कि एनएसओ ग्रुप मिलिट्री ग्रेड के इस स्पायवेयर को सिर्फ सरकारों को ही बेचती हैं. भारत सरकार ने पेगासस की खरीद को लेकर न तो इनकार किया है और न ही इसकी पुष्टि की है.