जम्मू, 10 अप्रैल (आईएएनएस)। श्रीनगर स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संथान (आईआईटी) के गैर-स्थानीय छात्रों के समर्थन में जा रहे एक मार्च को प्रशासन ने रविवार को राज्य में प्रवेश करते ही रोक दिया और उनसे इसे रद्द करने की अपील की। यह मार्च शनिवार को दिल्ली से रवाना हुआ था।
राष्ट्र ध्वज थामे मार्च में शामिल लोग कठुआ जिले के लखनपुर पहुंचे थे, जहां से वे एनआईटी के प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ एकजुटता जताने के लिए घाटी जाने वाले थे। लेकिन प्रशासन ने उन्हें यहीं रोक दिया।
जिला मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) सहित जिला प्रशासन के अधिकारी वहां पहुंचे और उन्होंने मार्च में शामिल लोगों से आगे नहीं बढ़ने की अपील की तथा उन्हें मार्च रोकने के लिए कहा।
अधिकारियों ने कहा, “प्रशासन ने बल प्रयोग नहीं किया। वे मार्च में शामिल लोगों को समझाने-बुझाने में सफल रहे।”
अधिकारी के मुताबिक, मार्च में शामिल लोगों का कहना था कि वे श्रीनगर स्थित एनआईटी के भीतर राष्ट्र ध्वज फहराना चाहते हैं। इस पर अधिकारियों ने उनसे कहा कि वे राष्ट्र ध्वज उन्हें दे दें, जिसे वे एनआईटी में उनकी ओर से फहराएंगे।
अधिकारी मार्च में शामिल लोगों को समझाने-बुझाने में सफल रहे। वे राष्ट्र ध्वज जिला प्रशासन के अधिकारियों को सौंपने के लिए तैयार हो गए। इसके बाद वे पंजाब के मधोपुर की ओर लौट गए।
एनआईटी श्रीनगर में विवाद की शुरुआत टी20 विश्व कप में भारत और वेस्टइंडीज के बीच हुए मुकाबले में भारत की हार के बाद शुरू हुआ, जिस पर कुछ लोगों ने जश्न मनाया था। एनआईटी के गैर-स्थनीय छात्रों ने इसका विरोध किया। चार अप्रैल को उन्होंने राष्ट्र ध्वज लेकर प्रदर्शन किया था। इस दौरान उन्होंने ‘भारत माता की जय’ के नारे भी लगाए।
प्रदर्शनकारी छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें परिसर के मुख्य द्वार पर ही रोक दिया और उनके खिलाफ बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज किया। हालांकि पुलिस का कहना है कि छात्र हिंसा पर उतर आए थे और उन्होंने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के साथ बदसलूकी भी की, जिसके कारण उन्हें बल प्रयोग करना पड़ा।
इस मामले में प्रदर्शनकारी छात्रों की शुक्रवार और शनिवार को भी सरकार के साथ वार्ता हुई थी, जो बेनतीजा रही थी। छात्रों के प्रतिनिधि रविवार को भी उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह, राज्य के शिक्षा मंत्री नईम अख्तर, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तीन सदस्यीय टीम (एमएचआरडी), एनआईटी श्रीनगर के निदेशक और अन्य वरिष्ठ नागरिक तथा पुलिस प्रशासन के अधिकारियों से मिलने वाले हैं।
प्रदर्शनकारी छात्र राज्य पुलिस पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई सहित कई अन्य मांग कर रहे हैं, जिनमें एनआईटी को घाटी से बाहर ले जाने की मांग भी शामिल है। हालांकि सरकार ने एनआईटी को घाटी से बाहर ले जाने की मांग खारिज कर दी है।