नई दिल्ली, 16 फरवरी (आईएएनएस)। ऐसे समय में जब अमेरिका एच1-बी वीजा पर नियंत्रण के लिए कई कदम उठा रहा है, कई बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियां व्याकुल हो गई हैं, क्योंकि इससे प्रतिभाशाली कर्मचारियों की भर्ती करने और कंपनी में बनाए रखने की उनकी क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित होगी। भारतीय कंपनी एचसीएल ने एच1-बी वर्क वीजा के लिए 5,085 विदेशी श्रम प्रमाणन हासिल किए हैं।
अमेरिकी श्रम विभाग द्वारा जारी एच-1बी वीजा के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2019 की 31 दिसंबर को खत्म हुई पहली तिमाही में सभी विदेशी श्रम प्रमाणन में एचसीएल अमेरिका की हिस्सेदारी 2.9 फीसदी रही।
इस सूची में डेलॉइट कंसल्टिंग 18,306 एच1-बी विशेषज्ञ व्यवसायिक श्रम प्रमाणपत्रों के साथ सूची में सबसे ऊपर है, जिसके बाद एप्पल 16,426 एच-1 बी विशेषज्ञ व्यवसायिक श्रम प्रमाणापत्रों के साथ दूसरे नंबर पर है।
पेशेवर कर्मचारी मुहैया कराने वाली एजेंसी केफोर्स 10,292 वीजा प्रमाणपत्रों के साथ तीसरे स्थान पर थी और अमेजन डॉट कॉम सर्विसिस 5,485 प्रमाणपत्रों के साथ चौथे स्थान पर रही।
सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी फेसबुक सातवें स्थान पर रही, जिसने तिमाही के लिए 4,133 एच1-बी वीजा प्रमाणपत्र हासिल किए।
शीर्ष 10 की सूची में शामिल अन्य कंपनियों में कॉग्निजेंट टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस, क्वालकॉम टेक्नोलॉजीज, इंटेल कॉर्पोरेशन और ओरेकल अमेरिका रहीं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, एच1-बी वीजा के सबसे बड़े लाभार्थी भारतीय हैं, जिनमें से 76 फीसदी पिछले साल भारत से पेशेवरों के रूप में आए थे।
नवंबर में, ट्रम्प प्रशासन ने उन्नत डिग्री वाले आवेदकों को वरीयता देने के लिए एच1-बी वीजा प्रणाली में बदलाव की घोषणा की थी।
कांग्रेस द्वारा लागू कि गए कानूनों के तहत हर साल कुल 85,000 एच1-बी वीजा उपलब्ध हैं। इनमें से 20,000 अमेरिकी विश्वविद्यालयों से एडवांस्ड डिग्री के साथ ग्रेजुएशन करने वाले छात्रों के लिए आरक्षित हैं।