नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। मानव रचना इंटरनेशनल युनिवर्सिटी ने शुक्रवार को ऐलान किया कि इसके इन्क्यूबेटेड स्टार्ट-अप ट्रिको एग्रोनिका प्रा. लिमिटेड (टीएपीएल) को इंडियन ऑयल कोरपोरेशन लिमिटेड की ओर से 1.72 करोड़ रुपये का पहला अनुदान मिला है। अप्रैल 2017 में स्थापित इस स्टार्ट-अप उद्यम को टमाटर में फंगल पैथोजन के लिए दुनिया के पहले आधुनिक एवं इको-फ्रेंडली बायो-फॉमूर्लेशन हेतु यह अनुदान दिया गया है।
इस अनूठे फॉर्मूले का विकास मानव रचना इंटरनेशनल युनिवर्सिटी की महिला टीम द्वारा किया गया है जिसमें शामिल हैं- डॉ. सरिता सचदेवा, प्रोफेसर एवं डीन रीसर्च, एमआरआईयू; डॉ. अभिलाषा शौरी, प्रोफेसर और हेड, बायोटेक्नोलोजी विभाग, डॉ निधि डीडवानिया, असिस्टेन्ट प्रोफेसर, बायोटेक्नोलोजी तथा दीप्ति सडाना, रीसर्च स्कॉलर, बायोटेक्नोलोजी।
पर्यावरण के अनुकूल ²ष्टिकोण एवं किसानों की महत्वाकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए टीम ने बायो-फॉमूर्ले ‘बायो एलिक्सिर’ का निर्माण किया है, जो बायो- फंगीसाइड (जैविक कवक नाशी) और बायो फर्टीलाइजर (जैविक उर्वरक) है। यह उत्पाद 100 फीसदी ऑर्गेनिक, अनूठा और आधुनिक उत्पाद है, जो ‘बुल्स आई’ पैथोजन (रोगकारक) के लिए कारगर उपाय है। गौरतलब है कि यह रोग देश भर में टमाटर की 60 फीसदी फसल को प्रभावित करता है।
आईओसीएल द्वारा यह अनुदान पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के ‘स्टार्ट-अप संगम’ प्रोग्राम के तहत दस तेल एवं गैस सार्वजनिक उपक्रमों के सहयोग से दिया गया है। प्रोग्राम के तहत कुल 40 स्टार्ट-अप्स को 10 सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा 320 करोड़ रुपये के कोष से वित्तीय अनुदान मिला है।
इस मौके पर एमआरआईयू की प्रोफेसर एवं डीन रीसर्च डॉ. सविता सचदेवा ने कहा, “हमारा यह अनुसंधान उत्पाद की शेल्फ लाइफ एवं प्रभाविता बढ़ाने में मदद करेगा। इसकी मदद से हम पहले से फरीदाबाद में टमाटर उत्पादन में 25-35 फीसदी वृद्धि कर चुके हैं और हमें विश्वाास है कि आने वाले समय में यह परियोजना देश भर के किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी। अगले तीन सालों में हमारी टीम इस अनुसंधान को कॉमर्शियल स्तर पर कारगर बनाने के लिए काम करेगी।”