मंदसौर, 4 जनवरी (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश इन दिनों पंचायत चुनाव के रंग में रंगा हुआ है, लेकिन मंदसौर जिले में ढाबला महेश एक ऐसा गांव है जहां के लोग चुनाव में मतदान की बजाय आपसी सहमति में भरोसा करते हैं। उन्होंने इस बार आपसी सहमति से दूल्हे सिंह को सरपंच चुना है।
पंचायत के चुनाव गांव में आपसी विवाद और रंजिश का कारण बनता है, इस बात से हर कोई वाकिफ है, चुनाव की बेला आते ही राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखने वाले सक्रिय हो जाते हैं, लेकिन ढाबला महेश इससे जुदा है। इस गांव के लोग आपस में मिल बैठ कर चौपाल लगाकर अपने प्रतिनिधि का आम सहमति से चुनाव करते हैं।
राज्य में इन दिनों पंचायत चुनाव के चलते राजनीति गरमाई हुई है, मगर ढाबला महेश गांव के निवासियों ने पिछले दो चुनाव की तरह इस बार भी निर्विरोध सरंपच का आपसी सहमति से चुनाव किया है। इसके लिए गांव में चौपाल आयोजित की गई, सभी ने एक राय होकर दूल्हे सिंह को अपने गांव का सरपंच चुन लिया।
गांव के लोग बताते हैं कि एक बार उनके गांव में एक संत आए और उन्होंने सुझाव दिया कि चुनाव के समय आपस में लड़ना झगड़ना नहीं चाहिए, बल्कि आपसी सहमति से अपना सरपंच चुनना चाहिए। उनकी यह राय सभी के मन में घर कर गई और उसके बाद से सरपंच का चुनाव निर्विरोध होता आ रहा है।
गांव के दशरथ सेन बताते हैं कि पहले चुनाव आपसी रंजिश का कारण बन जाता था। लड़ाई-झगड़े तक होते थे, इतना ही नहीं चुनाव की रंजिश कई वर्षो तक चलती थी, जिससे गांव का माहौल प्रभावित होता था। अब चुनाव की बजाय आपसी सहमति से सरपंच चुने जाने से गांव में शांति का माहौल रहता है।
राम सिंह बताते हैं कि गांव में आपसी सहमति से निर्विरोध सरपंच चुने जाने का यह तीसरा मौका है। इससे पहले दो बार सरपंच निर्विरोध चुना गया है। आपसी सहमति का लाभ गांव के विकास में मिला है। जब सरपंच आम राय से चुना जाता है तो वह पूरे गांव का प्रतिनिधि होता है। इससे आपसी मनमुटाव नहीं होता ।
ढाबला महेश गांव अन्य गांव के लोगों के लिए एक नजीर है, अगर हर गांव में चुनाव आपसी सहमति से होने लगें तो चुनाव पर होने वाला खर्च बचेगा वहीं चुनाव को लेकर होने वाली रंजिश भी कम होगी।