नई दिल्ली, 22 जनवरी (आईएएनएस)। आठ विपक्षी सांसदों ने शुक्रवार को दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के दर्जे पर केंद्र सरकार की अवस्थिति की कड़े शब्दों में निंदा की।
नई दिल्ली, 22 जनवरी (आईएएनएस)। आठ विपक्षी सांसदों ने शुक्रवार को दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के दर्जे पर केंद्र सरकार की अवस्थिति की कड़े शब्दों में निंदा की।
एक संयुक्त बयान में इन सांसदों ने कहा, “हम एएमयू और जामिया मिलिया इस्लामिया के अल्पसंख्यक दर्जे को छीनने के केंद्र सरकार के बेहद खराब कदमों की सख्ती से निंदा करते हैं और अपनी गहरी चिंता और नाखुशी जताते हैं।”
ये आठ सांसद हैं: के.सी.त्यागी (जद-यू), सुखेंदु राय (तृणमूल कांग्रेस), प्रमोद तिवारी (कांग्रेस), डी.पी.त्रिपाठी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी), डी.राजा (भाकपा), जे.पी. यादव (राजद), भगवंत मान (आम आदमी पार्टी) और रीताब्रता बनर्जी (माकपा)।
बयान में कहा गया है, “हम भारत के महान्यायवादी के बयान की निंदा करते हैं, जिन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के सामने यह कह कर कि ये दोनों संस्थान अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हैं, गंगा जमुनी तहजीब की समृद्ध परंपराओं को नग्न रूप से अपमानित किया है।”
सांसदों ने कहा कि महान्यायवादी ने लोकतांत्रिक भारत की शीर्ष संस्था की हैसियत को अपने इस छिछले दावे से कमजोर करने की कोशिश की है कि विधायिका ने इन दोनों संस्थानों को कभी भी भावी अल्पसंख्यक संस्थान के रूप में नहीं देखा था।
त्यागी ने कहा, “हम सांसद मानते हैं कि यह सांप्रदायिक एजेंडे को बढ़ावा देने की कुत्सित कोशिश है और अध्ययन के इन दो विशिष्ट संस्थानों के विशेष चरित्र को धूमिल करने की कोशिश है। इन दोनों संस्थानों का आजादी की लड़ाई में अतुलनीय योगदान रहा है। इन्होंने समाज विज्ञान, अल्पसंख्यकों की बेहतरी और भारतीय समाज के लिए उल्लेखनीय योगदान दिया है।”
सांसदों ने कहा कि बुद्धिजीवियों, सिविल सोसाइटी और सभी धर्मनिरपेक्ष राजनैतिक दलों को एक साथ मिलकर भारत के विचार को तहस-नहस करने के इस प्रयास का एकजुट होकर विरोध करना चाहिए।
सांसदों ने कहा कि वे हस्ताक्षर अभियान शुरू करेंगे। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मामले में दखल देने का आग्रह करेंगे और मामले को संसद में उठाएंगे।