टोक्यो/नई दिल्ली, 16 अप्रैल (आईएएनएस)। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने कहा है कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) केवल एक स्वास्थ्य चुनौती या स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए खतरा भर नहीं है, बल्कि उल्लेखनीय एवं गंभीर आर्थिक दुष्परिणामों के साथ विकास के लिए भी एक चुनौती है।
नड्डा ने टोक्यो में रोगाणुरोधी प्रतिरोध पर एशियाई स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक में ये बातें कहीं। उन्होंने एएमआर से मुकाबला करने के लिए वैश्विक सामूहिक प्रयासों के लिए काम करने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई और कहा, “हमें इस वर्ष के उत्तरार्ध में एएमआर पर आयोजित होने वाली संयुक्त राष्ट्र की उच्चस्तरीय बैठक से काफी उम्मीदें हैं।”
उन्होंने कहा, “हमें वर्तमान प्रतिबद्धताओं के प्रति अपने संकल्प को दोहराना चाहिए और सभी देशों में एएमआर राष्ट्रीय कार्ययोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए आवश्यक संसाधन जुटाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।”
इस अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र एवं पश्चिमी प्रशांत क्षेत्रों के स्वास्थ्य मंत्री भी उपस्थित थे।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के बयान के मुताबिक, जे.पी. नड्डा ने कहा कि चूंकि विभिन्न देश आर्थिक विकास के विभिन्न चरणों से गुजर रहे हैं, लिहाजा एएमआर का मुकाबला करने के लिए समान उपलब्ध लक्ष्यों की अनुशंसा करने के साथ ही वैसे देशों की घरेलू, द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय माध्यमों के जरिए सहायता के लिए सतत प्रयास भी किए जाने चाहिए, जिन्हें मानवीय, प्रौद्योगिकीय एवं वित्तीय संसाधनों की अधिक आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, “इसके अतिरिक्त हमें यह भी अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करना चाहिए कि वर्तमान एवं नए रोगाणुरोधी, टीके एवं निदान सभी के लिए सुविधाजनक एवं किफायती भी हो।”
नड्डा ने कहा कि एएमआर की बहु-क्षेत्रवार प्रकृति के लिए आवश्यक है कि सभी देश दवाओं का विवेकपूर्ण उपयोग करें, दवाओं की बिक्री को उपयुक्त तरीके से विनियमित करें, मानव स्वास्थ्य, पशु एवं कृषि क्षेत्रों में रोगाणुरोधी उपयोग के नियंत्रण के साथ ‘एक स्वास्थ्य’ की धारणा को बढ़ावा दें, संक्रमण नियंत्रण प्रचलनों एवं नवाचारों को बढ़ावा दें, सफाई एवं स्वच्छता को बेहतर बनाएं एवं पीने के स्वच्छ पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करें, टीके से रोकी जा सकने वाली बीमारियों के लिए सार्वभौमिक टीकाकरण को प्रोत्साहित करें,
उन्होंने कहा कि अनुसंधान एवं विकास तथा नई दवाओं की खोज को प्रोत्साहित करें तथा समान एवं किफायती पहुंच सुनिश्चित करें, स्वास्थ्य कार्यबल एवं चिकित्सकों की क्षमता बढ़ाएं, उपभोक्ता जागरूकता के लिए अभियान शुरू करें एवं बिना चिकित्सकों के परामर्श के खुद से एंटीबायोटिक्स के प्रयोग को निरुत्साहित करें, और सभी हितधारकों द्वारा समन्वित कदम के लिए एक रणनीति बनाएं तथा उसे क्रियान्वित करें।
नड्डा ने अपनी इस यात्रा के दौरान शुक्रवार को जापान के स्वास्थ्य, श्रम एवं कल्याण मंत्री यसुहिसा शियोजाकी से भी मुलाकात की। उन्होंने शुक्रवार को टोक्यो के तमागवा अस्पताल का भी निरीक्षण किया।