मुंबई, 23 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एस.एस. मुंद्रा ने सोमवार को कहा कि सार्वजनिक ऋण जुटाने के लिए एक एजेंसी की स्थापना को लेकर आरबीआई और सरकार के बीच कोई मतभेद नहीं है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को इस मुद्दे पर आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन से किसी तरह का विवाद होने से इंकार किया।
मुंद्रा से पूछा गया था कि क्या सार्वजनिक ऋण प्रबंधन एजेंसी (पीडीएमए) पर मतभेद दूर कर लिया गया है। इस पर उन्होंने कहा, “हम यह कहते रहे हैं कि कोई मतभेद नहीं है, तो उसे मिटाने का सवाल कहां पैदा होता है।”
जेटली ने रविवार को आरबीआई बोर्ड को संबोधित करने के बाद नई दिल्ली में कहा था, “कोई मतभेद नहीं है।”
राजन ने रविवार को प्रस्तावित सार्वजनिक ऋण एजेंसी को सरकार और रिजर्व बैंक से स्वतंत्र रखे जाने की वकालत की, ताकि वित्तीय अनुशासन और सुदृढ़ हो।
वित्तमंत्री द्वारा रिजर्व बैंक के बोर्ड को संबोधित किए जाने के बाद राजन ने संवाददाताओं से कहा, “एक पेशेवर संगठन के तौर पर और रिजर्व बैंक तथा सरकार से स्वतंत्र एक सार्वजनिक ऋण प्रबंधन एजेंसी (पीडीएमए) वांछित है।”
राजन ने कहा कि इस तरह की स्वतंत्र संरचना से सरकार की ऋण प्रक्रिया पर कुछ अनुशासनात्मक दबाव बनेगा।
अभी यह काम रिजर्व बैंक ही देखता है।
जेटली ने बजट 2015-16 में पीडीएमए का प्रस्ताव रखा था।
बजट के मुताबिक, पीडीएमए के पास सरकारी ऋण पत्र जारी करने का अधिकार होगा। और यही एजेंसी ऋण पत्र धारकों को भुगतान भी करेगी।