शराब की दुकानों का नवीनीकरण और नया आवंटन हर साल मार्च में होता है और नए वित्तवर्ष में एक अप्रैल से लागू होता है।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि प्रमुख सचिव (आबकारी) की तरफ से प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को भेजे निर्देश के बाद अप्रैल से राष्ट्रीय और राजकीय राजमार्गो के आसपास न तो किसी नई शराब की दुकान का आवंटन हो सकेगा और न ही पुरानी दुकानों का नवीनीकरण किया जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि इसके साथ ही अवैध शराब की तस्करी रोकने के लिए सरकार ने प्रदेश में तस्करी में लिप्त लोगों के खिलाफ गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए हैं। कई बार पकड़े जाने के बाद भी बाज नहीं आ रहे तस्करों को जिलाबदर तथा फरार तस्करों को भगोड़ा घोषित कर उनकी कुर्की भी करने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रदेश में बरेली से लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग, लखनऊ-फैजाबाद-गोरखपुर होते मुजफ्फरपुर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग, लखनऊ से इलाहाबाद और लखनऊ से वाराणसी राजमार्ग, लखनऊ से कानपुर होते आगरा एवं कानपुर से दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग, इलाहाबाद से कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग समेत डेढ़ दर्जन मार्ग ऐसे हैं, जिनके किनारे सैकड़ों की संख्या में शराब की दुकानें खुली हैं। इनमें से तमाम शराब की दुकानें तो राष्ट्रीय राजमार्गो पर बने ढाबों के बगल में हैं।
इन ढाबों पर खाना खाने वाले रोडवेज बसों व ट्रकों के चालक और अन्य निजी वाहनों के चालक-परिचालक शराब का सेवन करते हैं, जिनकी परिणिति दुर्घटना में होती है।
सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं सीतापुर से लखनऊ और लखनऊ से बस्ती के बीच होती हैं। प्रदेश सरकार की मंशा शराब पीकर गाड़ी चलाने से होने वाली दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने की है, जिस कारण यह कदम उठाया गया है।
हालांकि 31 मार्च तक कोई भी कार्रवाई नहीं हो सकेगी, क्योंकि सरकार ने इन दुकानों को 31 मार्च तक के लिए लाइसेंस जारी किया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।