उन्होंने कहा कि ट्रस्ट की जमीन पर हो रहे अवैध निर्माण के बारे में लखनऊ के डीएम को पत्र लिखे जाने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। कभी कोई कमी बताई जा रही है, तो कभी पूरे कागजात मुहैया नहीं कराए जा रहे हैं। शासन और प्रशासन के इस निराशाजनक रवैये से आहत मजलिस-ए-उलेमा-ए-हिन्द के महासचिव मौलाना जव्वाद ने कहा कि ये अत्याचार और नाइंसाफियां सिर्फ शियों के साथ होती हैं। सरकार और प्रशासन की हिम्मत नहीं है कि वह हिंदू या किसी सुन्नी ट्रस्ट की एक इंच जमीन भी ले सके।
उन्होंने कहा, “हमारी कौम पर यह अत्याचार इसलिए होता है कि मौलवी चुप हैं और राजनीतिक नेता अपनी लालच के लिए चुप हैं। ये कल भी गुलाम थे, आज भी गुलाम हैं। कल अंग्रेजों के गुलाम थे आज अपनी लालच और हवस के गुलाम हैं।”
मौलाना ने कहा कि उन्होंने अवैध निर्माण के संबंध में डीएम को पत्र लिखा था। डीएम ने आश्वासन दिया था कि उन्होंने एडीएम को इस संबंध में कार्रवाई करने को कहा है।
मौलान ने बताया कि जब उन्होंने इस बारे में एडीएम से संपर्क किया तो उन्होंने अवैध निर्माण की फोटोग्राफी कराकर भेजने को कहा। जब तस्वीरें भेजी गईं तो कहा गया कि वक्फ बोर्ड ने उन्हें अभी तक वे कागजात नहीं भेजे हैं जिससे पता चल सके कि वह संपत्ति वक्फ की है या नहीं। उन्होंने कहा कि इससे साफ जाहिर होता है कि प्रशासन हुसैनाबाद ट्रस्ट को बर्बाद कर देना चाहता है।
उन्होंने सवाल किया कि क्या डीएम और प्रशासन को नहीं पता है कि गोल दरवाजे के ऊपर कोई होटल है, जिसकी तीसरी मंजिल तैयार हो रही है और इसकी वजह से पीछे की बुरजियां छिप चुकी हैं। क्या लखनऊ के मौलवी हजरात हुसैनाबाद में अवैध निर्माण और गोल दरवाजे पर बन रही तीन मंजिला इमारत से वाकिफ नहीं हैं?
जव्वाद ने कहा कि इन बड़े-बड़े शोरूम और दुकानें वक्फ की जमीन पर बनवाई गई हैं, जिससे वक्फ को एक रुपये का फायदा नहीं है। उसके बाद भी आखिर क्यों मौलवी और मौलानाओं द्वारा इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई जा रही है।