लखनऊ, 2 अगस्त (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश सरकार देश की सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले को ठेंगा दिखाने की तैयारी में जुटी है, जिसमें उसने कहा था कि उप्र के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला दो महीने के भीतर खाली करना पड़ेगा।
लखनऊ, 2 अगस्त (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश सरकार देश की सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले को ठेंगा दिखाने की तैयारी में जुटी है, जिसमें उसने कहा था कि उप्र के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला दो महीने के भीतर खाली करना पड़ेगा।
एक ओर सरकार जहां शीर्ष अदालत में इसे लेकर पुनर्विचार याचिका दायर करने की बात कह रही है, वहीं शीर्ष पदस्थ सूत्र बता रहे हैं कि सरकार इस अड़चन को दूर करने के लिए इसी महीने विधानसभा का विशेष सत्र बुला सकती है।
उप्र विधानसभा में कार्यरत एक उच्च पदस्थ सूत्र ने आईएएनएस से विशेष बातचीत के दौरान यह जानकारी दी।
सूत्र के मुताबिक, सरकार अब इस बात पर विचार कर रही है कि इस अड़चन को दूर करने के लिए एक या दो दिन का विशेष सत्र बुलाकर कानून में ही संशोधन करा लिया जाए।
सूत्र बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला खाली करने के फरमान के बाद सरकार हरकत में आ गई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जद में पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह तक शामिल हैं। सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि विशेष सत्र के दौरान कानून में संसोधन कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला आवंटित करने के मसले को कानूनी तौर पर मजबूत कर दिया जाए।
उन्होंने बताया कि यदि सरकार विधानसभा का सत्र बुलाकर संबंधित कानून में संशोधन कर देती है और इस कानून को राज्यपाल की मंजूरी मिल जाती है, तब शीर्ष अदालत का आदेश भी निष्प्रभावी हो जाएगा। इस तरह पूर्व मुख्यमंत्रियों का बंगला उनके पास सुरक्षित रह सकेगा।
सूत्र ने बताया, “शीर्ष स्तर पर इस बात पर मंथन हो रहा है कि 19 अगस्त या 20 अगस्त को सरकार इस मामले में एक या दो दिन का विशेष सत्र बुलाकर मामले को कानूनी तौर पर मजबूत करे, ताकि आने वाले समय में सरकार के लिए और परेशानी न खड़ी हो।”
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राज्य सम्पत्ति विभाग के निदेशक बृजराज सिंह यादव ने कहा कि आदेश का अध्ययन किया जा रहा है। इस पर विधिक राय लेने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार इस बात का आभास है कि सर्वोच्च अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर करने के बाद भी उप्र सरकार के पक्ष में आदेश आने की संभावना कम ही है। इस संभावना को देखते हुए सरकार अब विशेष सत्र बुलाकर इस मसले को हल करना चाहती है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने भी मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी रहने के लिए जगह चाहिए। सरकार इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करेगी।
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद से ही उप्र के पांच दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्रियों पर बंगला खाली करने का दबाव बढ़ गया है। पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह को 5, विक्रमादित्य मार्ग, पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान गृहमंत्री राजनाथ सिंह को 4, कालिदास मार्ग, पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को 13ए, मॉल एवेन्यू, पूर्व मुख्यमंत्री एन.डी. तिवारी को 1ए, मॉल एवेन्यू, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को 2, मॉल एवेन्यू, पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव को 12, मॉल एवेन्यू आवंटित है।
देश की शीर्ष अदालत ने सोमवार को अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री जीवनभर सरकारी बंगले में नहीं रह सकते। पूर्व मुख्यमंत्री दो महीने के भीतर सरकारी बंगला खाली करें।