उन्होंने कहा कि अगर 30 दिनों के अंदर उनकी मांगों पर विचार नहीं हुआ तो विवश होकर विधानसभा के आगे अनशन पर बैठेंगी और अपने पति का मेडल लौटा देंगी।
शहीद की पत्नी की मांग है कि उनके परिवार के किसी सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। परिवार को तीन बीघा बंजर भूमि मिली थी, जिसे ग्राम प्रधान ने दूसरे के नाम पट्टा कर दिया। उन्हें फिर से पांच बीघा उपजाऊ जमीन दी जाए।
उनके गांव एमावंशी में उनकी पैतृक जमीन पर शहीद पार्क बना हुआ है। इस जमीन के बदले तत्कालीन जिलाधिकारी ने जमीन देने को कहा था, लेकिन न तो जमीन मिली और न ही मुआवजा। उस पार्क की भी साफ-सफाई नहीं हो रही है।
श्यामा ने कहा कि पार्क की साफ-सफाई के लिए कर्मचारी रखा जाए। वहीं शहीद के पिता ने कहा, “मेरी अवस्था 70 वर्ष हो गई है और दफ्तरों का चक्कर काटना अब मेरे वश का नहीं है।”
उन्होंने कहा, “अपने देश पर मिटने वाले जवानों के परिवारों की हालत कैसी है, यह हमारे परिवार को देखकर जाना जा सकता है।”