आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर और उनकी सामाजिक कार्यकर्ता पत्नी डॉ. नूतन ठाकुर की अलग-अलग याचिकाओं पर गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस एस.एन. शुक्ला और जस्टिस अशोक पाल सिंह की बेंच ने सुनवाई शुरू की। दोनों मामलों में एक अप्रैल को भी सुनवाई के आदेश दिए गए।
अमिताभ ने याचिका में कहा गया है कि यश भारती के लिए जिस प्रकार पहले चुपके-चुपके 22 नाम घोषित किए गए और बाद में एक बार 12 और दुबारा 12 नाम नाम बढ़ाकर कुल 46 नाम कर दिए गए। स्वयं मुख्य सचिव आलोक रंजन की पत्नी सुरभि रंजन को भी यह पुरस्कार दिया गया, उससे साफ जाहिर हो जाता है कि ये पुरस्कार मनमाने तरीके से दिए जा रहे हैं।
इसी तरह नूतन ठाकुर ने अपनी याचिका में कहा है कि आईएएस अफसरों की सेवा नियमावली के अनुसार राज्य के मुख्य सचिव को केंद्र सरकार की पूवार्नुमति से छह माह के सेवा विस्तार का प्रावधान है, लेकिन ऐसा विशेष योग्यता वाले अफसरों को ही दिया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि आलोक रंजन जस्टिस आर.आर. मिश्रा आयोग की रिपोर्ट में वर्ष 2002 से 2007 के बीच नाफेड के एमडी के रूप में गलत तरीके से 5000 करोड़ रुपये का गैर-कृषि ऋण देने और इस प्रक्रिया में 1600 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने, कृषि ऋण मुंबई में मॉल खरीदे जाने और एम.एफ. हुसैन की पेंटिंग खरीदे जाने के लिए देने के दोषी पाए गए थे। उन पर सीबीआई ने दो मुकदमे भी किए थे।