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 उप्र में सुनामी लहर में भी अपराधी सिंडीकेट का दबदबा, कांग्रेस से ज्यादा सीटों पर कब्जा (आईएएनएस विशेष) | dharmpath.com

Thursday , 28 November 2024

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उप्र में सुनामी लहर में भी अपराधी सिंडीकेट का दबदबा, कांग्रेस से ज्यादा सीटों पर कब्जा (आईएएनएस विशेष)

नई दिल्ली, 25 मई (आईएएनएस)। जघन्य अपराध को अंजाम देने की बात हो या फिर किसी अहम चुनाव में जीत दिलाने का मामला हो अंडरवर्ल्ड डॉन मुख्तार अंसारी का दबदबा अभी तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कायम है।

समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) गठबंधन द्वारा इस चुनाव में जिन सीटों पर जीत हासिल की गई है उनमें से ज्यादातर सीटों पर अंसारी गिरोह का प्रभाव रहा है।

पंजाब की जेल में बंद बाहुबली माफिया डॉन मुख्तार अंसारी और उसका फरार सहयोगी अतुल राय ने पूर्वाचल में ‘मोदी सुनामी’ के प्रभाव को नाकाम करने के लिए मजबूत साझेदारी की थी। फरार रहते हुए और मतदाताओं से मिले बिना अतुल राय ने घोसी सीट में जीत सुनिश्चित की।

उधर, मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी ने केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को गाजीपुर में शिकस्त देकर चौंका दिया है।

मुख्तार अंसारी का प्रभाव गरीबों में भी वैसा ही है, खासतौर लालगंज, जौनपुर और आजगढ़ के मुसलमानों में जहां भाजपा को गठबंधन से शिकस्त मिली है।

पूर्वाचल में मुख्तार अंसारी को रॉबिनहुड माना जाता है जिसका फायदा मायावती और अखिलेश यादव दोनों को मिला है और अंसारी के अंडरवर्ल्ड सिंडीकेट के प्रभाव वाले क्षेत्रों में उनको जीत हासिल हुई।

हालांकि बसपा नेता और पूर्व राज्यसभा सदस्य बलिहारी बाबू ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि घोसी (मऊ) संसदीय क्षेत्र में हमेशा समाजवादियों का दबदबा रहा है।

मायावती के करीबी माने जाने वाले बलिहारी बाबू ने कहा, “यहां के लोग समाजवादी मानसिकता के हैं जिन्होंने सांप्रदायिक ताकतों को पराजित किया है। आप यह नहीं कह सकते हैं कि किसी के व्यक्तिगत प्रभाव से ये नतीजे आए हैं। इसी प्रकार गाजीपुर में मनोज सिन्हा ने भले ही कुछ विकास कार्य किया होगा, लेकिन मतदाताओं ने सांप्रदायिक पार्टी को नकार दिया।”

सूत्रों ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार को अनुमान था कि मुख्तार अंसारी का प्रभाव इस क्षेत्र में हो सकता है, इसीलिए उनको पंजाब भेज दिया गया। लेकिन मुख्तार अंसारी ने दूरस्थ सलाखों के भीतर से ही घोसी और गाजीपुर में अभियान को नियंत्रित किया।

लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार हेमंत तिवारी ने कहा, “मुख्तार (अंसारी) ने पहले अपने बेटे के लिए मायावती से घोसी का टिकट मांगा था, लेकिन बसपा सुप्रीमो ने यह कहकर डॉन की मांग ठुकरा दी कि एक ही परिवार के दो सदस्यों को आसपास के क्षेत्र से चुनाव में नहीं उतारा जा सकता है। बाद में मुख्तार ने घोसी से अपने करीबी सहयोगी अतुल राय को उतारने का फैसला लिया और बसपा ने राय को टिकट देने में देर नहीं की।”

लेकिन राय घोसी में अपनी टीम को संगठित करते इसी बीच उन पर दुष्कर्म का एक मामला दर्ज कर दिया गया जिसके बाद उनको फरार होना पड़ा।

मुख्तार अंसारी ने अपनी नामौजूदगी में पंजाब की रोपड़ जेल से अभियान की निगरानी की।

कॉउ बेल्ट में भारी मोदी लहर के बावजूद राय एकमात्र प्रत्याशी हैं जिन्होंने क्षेत्र में चुनाव अभियान चलाए बगैर बड़े फासले से जीत हासिल की।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, राय को अब लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने से पहले आत्मसर्पण करना होगा।

हाल ही में संपन्न हुए चुनाव में मुख्तार अंसारी और उनके सहयोगी अपना प्रभाव कायम करने में सफल रहे, लेकिन दूसरे अंडरवर्ल्ड डॉन हरिशंकर तिवारी इतने भाग्यशाली नहीं रहे। तिवारी के पुत्र भीष्म संत कबीर नगर से चुनाव मैदान में उतरे थे लेकिन भाजपा ने उन्हें शिकस्त दी।

55 वर्षीय मुख्तार अंसारी विज्ञान में स्नातक हैं और वह क्रिकेटर से माफिया डॉन बने।

मुलायम सिंह यादव और मायावती के करीबी होने के कारण राजनीति में उनका उदय हुआ। मुख्तार अंसारी 50 से अधिक हत्या, फिरौती, अपहरण व अन्य मामले में संलिप्त हैं। वह कई साल तक उत्तर प्रदेश में विधायक रहे हैं।

मायावती ने 2010 में आपराधिक गतिविधियों को लेकर उनको पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इसके बाद उन्होंने कौमी एकता दल नामक पार्टी बनाई, लेकिन 2017 में डॉन ने अपनी पार्टी का विलय बसपा में कर दिया।

उप्र में सुनामी लहर में भी अपराधी सिंडीकेट का दबदबा, कांग्रेस से ज्यादा सीटों पर कब्जा (आईएएनएस विशेष) Reviewed by on . नई दिल्ली, 25 मई (आईएएनएस)। जघन्य अपराध को अंजाम देने की बात हो या फिर किसी अहम चुनाव में जीत दिलाने का मामला हो अंडरवर्ल्ड डॉन मुख्तार अंसारी का दबदबा अभी तक प नई दिल्ली, 25 मई (आईएएनएस)। जघन्य अपराध को अंजाम देने की बात हो या फिर किसी अहम चुनाव में जीत दिलाने का मामला हो अंडरवर्ल्ड डॉन मुख्तार अंसारी का दबदबा अभी तक प Rating:
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