लखनऊ, 29 फरवरी (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में स्वदेशी गोवंश लगातार घट रहा है। समय रहते यदि कारगर कदम नहीं उठाए गए तो गोवंश पूरी तरह से लुप्त हो जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार की तरह से स्वदेशी गोवंश के संवर्धन को लेकर चलाई जाने वाली योजनाओं की हालत देखकर तो ऐसा ही लगता है।
पशुधन विभाग के सूत्रों की मानें तो केंद्र व राज्य सरकार की तकरार में गोवंश संवर्धन की कई योजनाएं मूर्त रूप नहीं ले पा रही हैं। दोनों सरकारों की तकरार में राष्ट्रीय गोकुल मिशन अटका हुआ है।
एकीकृत पशु केंद्र गोकुल ग्राम, स्वदेशी गायों के उत्तम नस्लों को संरक्षण देने के लिए बुल मदर फामर्स के अलावा, गौ पालन संघ जैसी योजनाएं कागजों में ही धूल फांक रही हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, यदि हालात ऐसे ही रहे तो जल्द ही देसी गोवंश लुप्त हो जाएगा। पशुधन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में देशी गोवंश में वर्ष 2007-12 के बीच 9 फीसदी तक की गिरावट आई है। गिरवाट की रफ्तार पिछले तीन वर्षो में और अधिक बढ़ी है और खासतौर से पश्चिमी उ.प्र. के लगभग आधा दर्जन जिलों में।
अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2012 में पशुगणना के बाद, जो आंकड़े सामने आए वे और चौंकाने वाले हैं। मुजफ्फरनगर जिले में 70 फीसदी तक गिरावट दर्ज की गई है।
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक, बागपत में 68 फीसदी, मेरठ में 64.04 फीसदी, गाजियाबाद में 64, मुरादाबाद में 42 फीसदी, सीतापुर में 25.48 फीसदी, सुलतानपुर में 37 फीसदी तक गोवंश में कमी आई है।
वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2014 में राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत 150 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे। इससे गोकुल ग्राम विकसित कर देशी नस्लों का संवर्धन कराना था। गोकुल ग्राम की स्थापना पीपीपी मॉडल के आधार पर कराने का प्रस्ताव है। इसमें 1000 पशुओं के रखने की व्यवस्था होगी।
इस बीच, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री संजीव बालियान ने भी गोकुल ग्राम को लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि मथुरा में गोकुल ग्राम स्थापित करने के लिए करीब एक वर्ष पूर्व पैसे दिए जा चुके हैं, लेकिन इस दिशा में अभी तक कोई काम नहीं हो सका है।
इधर, राज्य सरकार की तरफ बस्ती जिले के हरैया में गोकुल ग्राम स्थापित करने का प्रस्ताव पशुधन विकास विभाग की ओर से तैयार किया गया। इसके लिए 125 एकड़ जमीन पर्श-धर्मपुर गांव में चिन्हित की गई है।
इस बारे में पशुधन विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. बीबीएस यादव के मुताबिक, प्रस्ताव को केंद्र सरकार की हरी झंडी मिलने का इंतजार है। राज्य सरकार अपने स्तर से अलग योजना तैयार कर चुकी है। इसका असर जल्द ही निचले स्तर पर देगा।