लखनऊ, 17 जून (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में एक जूनियर की पिटाई के मामले में हमदर्दी जताने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के आान पर उत्तर प्रदेश में भी सरकारी और कई निजी अस्पतालों में डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार का स्वास्थ्य सेवाओं पर बड़ा असर पड़ा है।
सोमवार को डॉक्टरों की हड़ताल से अस्पतालों में हाहाकार मच गया। परिजन अपने मरीजों को लेकर इलाज के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। अस्पतालों में भीड़ लगी रही और लोग परेशान नजर आए।
केजीएमयू, एसजीपीजीआई, लोहिया संस्थान और सभी निजी अस्पतालों में हड़ताल है, जिससे विभिन्न जिलों से आए मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है।
केजीएमयू में चिकित्सकों का कहना है, “हम लोगों की सेवा करने के लिए हैं, लेकिन हम पर हमले हो रहे हैं। यह बंद होना चाहिए। डॉक्टर जब खुद सुरक्षित होंगे तभी लोगों की मदद कर पाएंगे।”
आईएमए की लखनऊ शाखा के अध्यक्ष डॉ. जी.पी. सिंह ने बताया कि मेडिकल कॉलेज, सरकारी व निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने काम रोक दिया है।
एसजीपीजीआई में भी लोग इलाज के बहुत ज्यादा परेशान रहे। नए मरीज ज्यादा दिक्कत में हैं।
बलरामपुर अस्पताल में लोग इस उम्मीद में काउंटर के पास लोग खड़े हैं कि हड़ताल खत्म होगी और इलाज मिलेगा। लोहिया अस्पताल में भीड़ में खड़ी एक महिला बेहोश हो गई। वह पर्चा बनवाने के लिए लाइन में लगी थी।
निजी नर्सिग होम और जांच केंद्रों के हड़ताल में शामिल होने की वजह से मरीजों की जांचें भी नहीं हो पाईं। सीटी स्कैन, एमआरआई, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए लोग परेशान नजर आए। वहीं खून की जांच के लिए भी निजी पैथोलॉजी से लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ा।