आईजी ठाकुर ने इन दोनों धाराओं की विधिक परिभाषा बताते हुए कहा था कि हालांकि दोनों धाराओं में तीन साल की बराबर सजा है, पर धारा 505 (1) (सी) आईपीसी असं™ोय है जबकि धारा 153ए आईपीसी सं™ोय अपराध है, जिसमें पुलिस तत्काल विवेचना और गिरफ्तारी कर सकती है।
उन्होंने कुरैशी के बयान को मानवता के विरुद्ध मानते हुए उन्हें गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम को 20,000 रुपये का व्यक्तिगत पुरस्कार देने की भी बात कही थी। अब डीजीपी ने मेरठ के आईजी को आदेशित किया है कि वे मामले की समीक्षा कर अपने स्तर से मामले की समीक्षा कर आगे की विधिक कार्यवाही कराएं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।