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उपराष्ट्रपति चुनाव: संयुक्त विपक्ष ने पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा को बनाया उम्मीदवार

July 17, 2022 10:59 pm by: Category: ख़बरें अख़बारों-वेब से Comments Off on उपराष्ट्रपति चुनाव: संयुक्त विपक्ष ने पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा को बनाया उम्मीदवार A+ / A-

नई दिल्ली: विपक्षी दलों ने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा को अपना संयुक्त उम्मीदवार बनाने का रविवार को फैसला किया.

80 वर्षीय अल्वा अपना नामांकन पत्र 19 जुलाई दाखिल करेंगी, जो छह अगस्त को होने वाले चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने उपराष्ट्रपति पद के लिए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को अपना उम्मीदवार बनाया है.

अल्वा को मैदान में उतारने का फैसला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार के आवास पर 17 विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक में लिया गया.

 पवार ने दो घंटे की बैठक के बाद घोषणा करते हुए कहा, ‘हमने सर्वसम्मति से मार्गरेट अल्वा को उपराष्ट्रपति पद के लिए अपने संयुक्त उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारने का फैसला किया है.’

उन्होंने कहा, ‘हमारी सामूहिक सोच है कि अल्वा मंगलवार (19 जुलाई) को उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन पत्र दाखिल करेंगी.’

पवार ने कहा कि कुल 17 दलों ने सर्वसम्मति से अल्वा को मैदान में उतारने का फैसला किया है और तृणमूल कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी के समर्थन से वह कुल 19 पार्टियों की संयुक्त उम्मीदवार होंगी.

बैठक में कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे और जयराम रमेश, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सीताराम येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के डी राजा और बिनॉय विश्वम, शिवसेना के संजय राउत, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के टी आर बालू और तिरुचि शिवा, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, एमडीएकमे के वाइको तथा तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के केशव राव शामिल हुए.

इसके अलावा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के एडी सिंह, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईएमयूएल) के ईटी मोहम्मद बशीर और केरल कांग्रेस (एम) के जोस के. मणि भी बैठक में मौजूद थे.

दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों ने राजग द्वारा द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी का ऐलान किए जाने से पहले ही यशवंत सिन्हा को अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित कर दिया था. इससे शिवसेना और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सहित कई गैर-भाजपा दलों ने बाद में सिन्हा के बजाय आदिवासी नेता मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा की थी.

राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को होना है.

पांच बार संसद सदस्य रहीं अल्वा ने केंद्र में मंत्री और गोवा के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया है.

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है. राजग ने 2017 में उपराष्ट्रपति पद के लिए तत्कालीन केंद्रीय मंत्री नायडू को अपना उम्मीदवार बनाया था.

देश में यह 16वां उपराष्ट्रपति चुनाव होगा. संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचन मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत दोनों सदस्य) होते हैं.

विपक्षी उम्मीदवार बनाए जाने के फैसले को विनम्रता से स्वीकार करती हूं: अल्वा
उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने रविवार को कहा कि वह इस पद के लिए उम्मीदवार बनाए जाने के फैसले को ‘बड़ी विनम्रता’ के साथ स्वीकार करती हैं. अल्वा ने खुद में भरोसा जताने के लिए विभिन्न दलों के नेताओं का आभार भी व्यक्त किया.

विपक्षी दलों के उनके नाम की घोषणा करने के तुरंत बाद अल्वा ने ट्वीट किया, ‘भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में नामित होना गर्व और सौभाग्य की बात है. मैं इस फैसले को बड़ी विनम्रता से स्वीकार करती हूं. विपक्षी दलों के नेताओं का आभार जताती हूं कि उन्होंने मुझ पर भरोसा जताया है. जय हिंद.’

मार्गरेट अल्वा बनाम जगदीप धनखड़
उपराष्ट्रपति चुनाव में प्रतिद्वंद्वी जगदीप धनखड़ और मार्गरेट अल्वा के बीच कई समानताएं हैं. दोनों राज्यपाल और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और दोनों की पृष्ठभूमि कांग्रेस से जुड़ी रही है.

धनखड़ और अल्वा ने कानून की पढ़ाई की है और दोनों का राजस्थान से भी नाता रहा है. भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार धनखड़ (71 वर्ष) राजस्थान के मूल निवासी हैं, जबकि विपक्ष की उम्मीदवार अल्वा (80 वर्ष) राजस्थान की राज्यपाल रही हैं.

भाजपा में शामिल होने से पहले जनता दल और कांग्रेस में रहे धनखड़ ने राजस्थान हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में वकालत की, जबकि अल्वा के पास व्यापक विधायी अनुभव है.

अल्वा चार बार राज्यसभा सदस्य रह चुकी हैं और केंद्र में कांग्रेस नीत संप्रग के शासनकाल में वह उत्तराखंड और राजस्थान की राज्यपाल रहीं. वह राजीव गांधी और पीवी नरसिंह राव के नेतृत्व वाली सरकारों में मंत्री भी रही थीं.

धनखड़ अल्पकालिक चंद्रशेखर सरकार में मंत्री रहे थे. वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिर से सत्ता में आने के बाद उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया था.

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